माँ!
याद तो आता नहीं
तुम्हारा
गोदी में वो मुझे झुलाना
दूध का अमृतरस चखाना
झुनझुने से मेरा दिल बहलाना
लोरी का वो गुनगुनाना
माथे को प्यार से चूमना
गुदगुदी से हँस हँस हँसाना
उँगली पकड़ चलना सिखाना
पर
याद है, माँ मुझे
हाथ में उँगली थामें लिखवाना
खून पसीने से मेरे जीवन को सींचना
मुश्किलों में हौसले का बँधाना
प्यार में आँसुओं का छलकना
गम में रोऊँ तो सहलाना
आने चाहे तुफ़ानों को रोक लेना
अंधेरे में रोशनी का दिखलाना
पास ना रहूँ, तो याद में रोना
और फिर वो पल
जब-
माँ बेटी का रिश्ता बना दोस्ताना
माँ के इस प्यार की बेल का
चढ़ते ही जाना
इंद्रधनुषी...
Showing posts with label काव्य-सुधा. Show all posts
Showing posts with label काव्य-सुधा. Show all posts
Friday, 5 April 2013
होली है
होली में भंग की गोली चखो, औ रंग की भर - भर दे पिचकारी. मत मान बुरा - मत सोच ज़रा, खुश कौन हुआ कौन देवे है गारी. बुढा - जवान में भेद दिखे नहीं , फाग के रंग में सब रंग जावे. मुँह में दाँत - न पेट में आँत, पर फाग के राग में सब रम जावे. ढोल - मजीरा के ताल पे थिरके, अस्सी बरीस के दे - दे के तारी. होली में भंग की गोली चखो, औ रंग की भर - भर दे पिचकारी. नारि नवेली से जाकर पूछो, का होव...त फगुनी अंगड़ाई. होली के रंग में भंग पड़े, जब संग नहीं साजन हरजाई. पुआ भी रोटी सरीखा लगे, और होली की गीत लगे जस गारी. होली में भंग की गोली चखो, औ रंग...
ऐसा लोग कहते हैं

ऐसा लोग कहते हैं
मै उसके प्यार में पागल हूँ ऐसा लोग कहते हैं
मै उसकी आँख से घायल हूँ ऐसा लोग कहते है
वो कहता है मेरे चर्चे उसे बदनाम कर देंगे
मगर मै तो नहीं कहता हू ऐसा लोग कहते है
...
जय - जय बिहार की भूमि, तुम्हें शत नमन हमारा

(22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता
है . इस अवसर पर अनेक कार्यक्रम का आयोजन 22 से 24 मार्च को आयोजित किया
जां रहा है . बिहार दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ) बिहार जय - जय बिहार की भूमि, तुम्हें शत नमन हमारा. तेरी महिमा अतुलनीय , यश तेरा निर्मल - न्यारा. तुम्हें शत नमन हमारा - तुम्हें शत नमन हमारा. फली - फुली सभ्यता - मानवता , तेरी ही गोदी में. बिखरी है चहुँओर सम्पदा , इस पावन माटी में. जली यहीं से ज्योति ज्ञान की, चमका विश्व...
जीवन और मौसम
जीवन और मौसम मन रे ........ काहें को नीर बहाये. जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये. शिशिर - बसंत में मस्त पवन बह, अंग -अंग सहलाये. होली - चईत का धुन हर मन में, मिलन की लगन जगाये. मौसम की यौवन अनुभूति, नस - नस आग लगाये. बिरहिन की आँखों - आँखों में, ही रजनी कट जाये. शीत ऋतु गयी - आई गर्मी, कोमल तन झुलसाये. जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये. मन रे ........ काहें को नीर बहाये. जेठ का तेवर देख के डर से, सब घर में छिप जाये. दिन - दुपहरिये ही गोरी को, पिय का संग मिल जाये. गरमी का भी अपना सुख है, सजनी बेन डोलाये. खेत...