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Friday 5 April 2013

Corn Bhel

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Ingredients
 
1 cup cooked sweet corn
1/2 tomato chopped finely
1/2 onion chopped finely
Salt to taste
Chaat masala to taste
Sev
Finely chopped coriander leaves
 
Mix up all the ingredients well just before serving and a healthy snack is ready.
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कहानी मुर्ग़े की

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एक दिन बाज ने कहा ‘मियां मुर्ग़े, तुम बड़े ही बेवफ़ा,बेमुरव्वत और नाशुक्रे हो। देखो आदमी किस मुहब्बत से तुम्हें पालते और दाने-पानी की ख़बर लेते हैं, फिर भी तुम्हारा हाल यह है कि मालिक पकड़ना चाहता है, तो भागे-भागे फिरते हो। ख़ुद भी थकते हो और मालिक को भी थकाते हो।’‘मुझको देखो, जंगल का पखेरू, पहाड़ का परिन्दा, हवा पर उड़ने वाला, मगर जहां दो-चार दिन रहा आदमियों में, बस उनकी ख़ौफ से वाक़िफ़ हुआ और उनका नमक खाया, फिर तो ऐसा मुतीय और फ़रमाबरदार होता हूं कि इशारों पर काम करता हूं। जब शिकार पर छोड़ते हैं, तो पंजे झाड़कर उसके पीछे पड़ता हूं। कोसों दूर निकल जाता हूं, मगर अपने आक़ा को नहीं भूलता। जरा वापसी का इशारा पाया, ख़ुशी-ख़ुशी उड़ता चला आया।
 
मुर्ग़ ने जवाब दिया, ‘मियां बाज, इसमें शक नहीं कि तुम बड़े शिकारी हो, बुलंद हिम्मत हो, चुस्तो-चालाक हो, लेकिन भाई, कुसूर माफ़, तुममें बात समझने की लियाक़त है नहीं। अगर तुम थोड़ा ग़ौर करते और मेरी और अपनी हालत का फ़र्क़ पहचानते, तो हरगिज़ बेवफ़ाई और कजअदाई का ताना मुझको न देते। मैंने सैकड़ों मुर्ग़ हलाल होते और सींक पर भुनते अपनी आंखों से देखे हैं, मगर तुमने किसी बाज को जिबाह होते या कबाब किए जाते देखा तो क्या, कभी सुना भी न होगा। इस सूरत में अगर मैं चौकन्ना रहूं और मालिक की तरफ़ से मेरे दिल में दुकुड़-पुकुड़ हो, तो मैं अक्लमंदों के नजदीक माना जाऊंगा, मलामत के क़ाबिल नहीं। और तुम अपने आक़ा पर इत्मीनान रखो, तो कुछ तारीफ़ के मुस्तहि़क नहीं हो।’
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घर पर कोई है?

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आदमी- बेटा पापा घर पर हैं?
बच्चा- अंकल पापा तो बाजार गए हैं।
आदमी- चलो बड़े भाई को बुला दे।
बच्चा- जी वो क्रिकेट खेलने गए हैं।
आदमी- बेटा मम्मी तो होंगी घर पर?
बच्चा- जी वो तो किटी पार्टी में गई हैं।
आदमी (गुस्से में)- तो बेटा तुम घर पर क्यों बैठे हो, तुम भी कहीं चले जाओ।
बच्चा- जी मैं भी तो अपने दोस्त के घर आया हुआ हूं।

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आलू तिल का सलाद - Potato Sesame Salad

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आलू और तिल का सलाद सभी को पसंद आने वाला ज़ायका है. नेपाल में आलू तिल का आचार कहे जाने वाले इस स्लाद को तिल के तेल में बनाय जाता है लेकिन ये सलाद जैतून के तेल में (आलिव आयल) और भी ज़्यादा स्वादिष्ट बनता है.

ज़रूरी सामग्री:

  • आलू - 4 मध्यम आकार के
  • नमक - 1/2 छोटी चम्मच ( स्वादानुसार)
  • हरी मिर्च - 2 (बीज हटाकर बारीक कतर लीजिये)
  • नीबू का रस - 1 छोटी चम्मच
  • अदरक - आधा इंच टुकड़ा (बारीक कटा)
  • आॉलिव आॉयल - 2 छोटे चम्मच
  • तिल - 2 छोटे चम्मच
  • हरा धनियां - 2 टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)
  • पुदीने के पत्ते - 2 टेबल स्पून

बनाने की विधि:

आलू को उबाल लें. अब इन्हें लगभग 1 घंटे के बाद ठंडा करके छील लें और टुकडों में काट लें. ठंडा करके छीलने से आलू भुरभुरे नहीं रहते और अच्छे से कटते हैं. हर आलू से 4-6 टुकडे़ कर लें.
तिल को किसी पैन या तवे पर भून कर हल्का बाउन कर लें.
अब कटे हुए आलू में भुने हुए तिल, नमक, अदरक, हरी मिर्च, नींबू क रस और ओलिव ओयल डाल कर सबको अच्छे से मिला लें.
पुदीने की पत्तियां और हरा धनिया डाल कर सजाएं. आपका आलू तिल का सलाद तैयार है. इसे प्लेट में डालकर हरी धनिया से सजाएं और सर्व करें.
कम भूख में आप आलू तिल के सलाद को स्नैक्स के रूप में भी खा सकते हैं.
Source : Bivha Hotels Pvt Limited , Nisha Mathur 
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अपने को गंभीरता से लें

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एक सूफी कहावत है कि ‘खुद को बेहतर बनाना ही, बेहतर गांव, बेहतर शहर, बेहतर देश और बेहतर दुनिया बनाने की ओर पहला कदम होता है।
आप और जो भी हों फिलहाल एक पाठक हैं और अपने को गंभीरता से ले रहे हैं — तभी तो आप यह पढ़ रहे हैं! लेकिन आप सिर्फ पाठक ही नहीं, आप विद्यार्थी, शिक्षक, सैनिक, वकील, एग्जीक्यूटिव, व्यवसायी, कर्मचारी, मां, बाप, बहन, भाई और भी बहुत कुछ हो सकते हैं। इन सभी चीजों को कैसे लेते हैं? जाहिर है, आप कहंेगे कि गंभीरता से लेते हैं। हो सकता है लेते भी हों। 
लेकिन कई बार आप एकदम मामूली और व्यक्तिगत सवालों का भी तत्काल जवाब नहीं दे पाते! कोई अगर पूछे कि खाने में सबसे ज्यादा आपको क्या पसंद है तो जवाब देने से पहले आप सोचते हैं। आपका सोचना बताता है कि आप अपनी पसंद-श्नापसंद को भी ठीक से नहीं जानते, फिर कैसे मान लिया जाए कि आप अपने को और अपनों को गंभीरता से ले रहे हैं?
मेरे ख्याल से अपने को गंभीरता से लेने का मतलब है अपनी रुचियों, अपने रिश्तों, अपनी कमियों, अपनी संभावनाओं को जानना-समझना। जो नकारात्मक है उसे कम करते जाना और जो सकारात्मक है उसे संजोते-संवारते जाना। अपने को गंभीरता से लेने का मतलब है, दूसरों को भी गंभीरता से लेना, प्रकृति को गंभीरता से लेना। अपने को व्यक्ति ही नहीं सामाजिक प्राणी समझना। यानी अपनी वैयक्तिकता और सामाजिकता को समझना। 
किसी टीवी चैनल पर एक इंटरव्यू चल रहा था। प्रश्नकर्ता ने पूछा, ‘और अंत में कोई संदेश?’ और उसने मुस्कुराते हुए कहा, ‘टेक योरसेल्फ सीरियसली’। कहने वाला ज्योफ्रे आर्थर था। 
एक बेहद लोकप्रिय लेखक। उनकी बात ‘नाविक के तीर’ की तरह दिल में उतर गई थी। कई महीने हो गए। मैं उसी वाक्य में डूबता रहा हूं — ‘ज्यों बूड़े त्यों-त्यों तरे’ वाले अंदाज में। मुझे लगा इतनी उम्र हो गई पर क्या मैं अपने को गंभीरता से ले पाया हूं? बात खुलती गई और खुलती जा रही है। सोचा आपसे साझा कर लूं। हो सकता है आपको भी मेरी तरह झकझोर दिए जाने वाला एहसास हो। 
‘मैं कौन हूं’, यह मनुष्य के आदि प्रश्नों में से एक प्रश्न है। मैं से मतलब मेरा शरीर, मेरा मन-मस्तिष्क, मेरा व्यक्तित्व, मेरा अनोखापन, मेरे रिश्ते, मेरा समाज। और फिर इस गतिमान संसार में मैं कहीं अटका तो पड़ा नहीं हूं। मेरा एक अतीत है, वर्तमान है, भविष्य है, मेरी एक दिशा है, एक राह है। इसका मतलब हुआ कि मुझे अपने को गंभीरता से लेने के लिए अपने को समग्रता में लेना होगा, एक व्यक्ति, एक ऐतिहासिक, एक सांस्कृतिक और एक सामाजिक प्राणी के रूप में। 
गंभीरता के लिए गंभीर दिखना जरूरी नहीं। हम हंसते-खेलते हुए भी गंभीर हो सकते हैं। खेल-कूद, हंसी-मजाक, सफाई और गंदगी सभी गंभीर चीजें हैं। किसी को बढ़ाना गंभीरता है और किसी घटाना या खत्म करना। 
वास्तविकता यह है कि हम जो भी ‘अच्छा/सही’ करते हैं उसका श्रेय लेना चाहते हैं और जो भी ‘बुरा/गलत’ करते हैं, उसके लिए दूसरों को, जमाने को, किस्मत को दोष देते हैं। गंभीरता से लेने का मतलब है — अपने गुण-दोष, सही-गलत के लिए पहले अपने को फिर वंश-परंपरा, पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा, मित्र-शत्रु और सरकार-व्यवस्था को दोष देना। जो कारण बाहर हैं, उनके संबंध में कुछ कर पाना केवल हमारे हाथ में नहीं। पर जो अंदर के कारण अगर उन्हंे जान-समझ लें तो आप सीमाओं को घटाने और संभावनाओं को बढ़ाने में लग सकते हैं, और तत्काल। व्यवस्था-परिवर्तन में तो वक्त लगता ही है, पर अपना परिवर्तन तो तत्काल शुरू हो सकता है। 
यह क्रांतिकारी उपक्रम शुरू कैसे हो? यह भी सीधी बात है। पहले तो यही देखें कि यह ‘अपना’ जिसे गंभीरता से लेना है वह है क्या? शरीर और मन-मस्तिष्क। इन्हें तो गंभीरता से लेना ही पड़ेगा, क्योंकि ‘शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्’ और स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन-मस्तिष्क। हम शरीर को तो थोड़ा गंभीरता से ले भी लेते हैं पर मन-मस्तिष्क को तो मानो भगवान-भरोसे ही छोड़े रहते हैं, जबकि उनका भी भौतिक आधार है और उन्हें भी पोसा-संवारा जा सकता है।
फिर सवाल उठता है अपने विविध रूपों का, रिश्तों का, हैसियतांे का। हमारे एक साथ कई रूप होते हैं। अक्सर एक को गंभीरता से लेने पर दूसरा नजरअंदाज होता दिखता है। जैसे कोई अपने पति रूप को गंभीरता से ले तो पुत्र-रूप नजरअंदाज हो सकता है, व्यक्तिगत सफलता को गंभीरता से लें तो सामाजिक रूप हाशिए पर जा सकता है।
ऐसा इसलिए होता है कि हम चीजों को समग्रता में नहीं ले पाते। हम अपने अपनत्व को संकीर्ण बनाते चले जाते हैं। अपनापन सिकुड़ता जाता है तो अपने पराए होते जाते हैं। अंतत: हम स्वयं भी पराएपन के शिकार होते जाते हैं। अजनबियत का विस्तार और इंसानियत का क्षरण होता चला जाता है। हम एक बार इतिहास और अपने चारांे ओर नजर दौड़ाकर तो देखें, हमें अनेक ऐसे लोग नजर आएंगे जिन्होंने अपने को गंभीरता से लिया और असंभव को संभव कर दिखाया, जैसे हेलेन केलर, गांधीजी, हाकिंग। हम सबके आसपास ऐसे बहुत से लोग दिखेंगे जिन्होंने अपने को गंभीरता से नहीं लिया, जैसे असाधारण साहित्यकार भुवनेश्वर। इस तरह वह गुमनामी में खो गए और समाज को एक अनोखी प्रतिभा से वंचित कर दिया। ऐसे भी लोग हैं और हुए हैं, जिनका अपने को गंभीरता से लेने का मुद्दा विवादास्पद हो सकता है जैसे रूसो और बोहे मियंस। 
यदि एक बार हम ठीक से आत्मसात् कर लें कि हमारे नितांत वैयक्तिक में भी सामाजिकता निहित है और नितांत सामाजिक में भी वैयक्तिक निहित है तो बात आसान हो सकती है। बहुत छोटा-सा उदाहरण देखें — सुबह ब्रश करना तो एक व्यक्तिगत काम है पर क्या इसका भी एक सामाजिक पहलू नहीं है? क्या अगर हमारे दांत गंदे रहते हैं और हमंे पायरिया हो जाता है तो इससे समाज प्रभावित नहीं होगा? इसी तरह समाज-सेवा या सामाजिक परिवर्तन का भी यह व्यक्तिगत पहलू नहीं है कि वांछित परिवर्तन हमारे अंदर भी आए — हमारा आचरण व्यवहार भी बदले? 
हम व्यक्तिवादी हों या समाजवादी, आस्तिक हों या नास्तिक, युवा हों या बुजुर्ग, अपने को गंभीरता से लेना हमारी विश्व-दृष्टि और विचारधारा का अभिन्न अंग होना चाहिए। इसके हर हाल में सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। 
किसी बदलाव का कुछ तयशुदा नुस्खा नहीं, लेकिन बदल पाता है जो खुद को वही सबको बदलता है।
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ऐसा लोग कहते हैं

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ऐसा लोग कहते हैं मै उसके प्यार में पागल हूँ ऐसा लोग कहते हैं
मै उसकी आँख से घायल हूँ ऐसा लोग कहते है
वो कहता है मेरे चर्चे उसे बदनाम कर देंगे
मगर मै तो नहीं कहता हू ऐसा लोग कहते है
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जय - जय बिहार की भूमि, तुम्हें शत नमन हमारा

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(22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है . इस अवसर पर अनेक कार्यक्रम का आयोजन 22 से 24 मार्च को आयोजित किया जां रहा है . बिहार दिवस की हार्दिक शुभकामनाये )

बिहार

जय - जय बिहार की भूमि, तुम्हें शत नमन हमारा.
तेरी महिमा अतुलनीय , यश तेरा निर्मल - न्यारा.
तुम्हें शत नमन हमारा - तुम्हें शत नमन हमारा.
फली - फुली सभ्यता - मानवता , तेरी ही गोदी में.
बिखरी है चहुँओर सम्पदा , इस पावन माटी में.
जली यहीं से ज्योति ज्ञान की, चमका विश्व ये सारा.
तुम्हें शत नमन हमारा - तुम्हें शत नमन हमारा.
राजनीति या धर्मनीति हो, शास्त्रनीति या शस्त्रनीति हो.
उद्गम - स्थल यहीं है सबका, रीति - रिवाज़ या संस्कृति हो.
ज्ञान - विज्ञान , साहित्य - कला की, यहीं से फूटी धारा.
तुम्हें शत नमन हमारा - तुम्हें शत नमन हमारा.
महावीर और गुरु गोविन्द की, जन्मभूमि यह धरती.
गौतम - गांधी - बाल्मीकि की, कर्मभूमि यह धरती.
गणतंत्र को सबसे पहले, इस धरती ने उतारा.
तुम्हें शत नमन हमारा - तुम्हें शत नमन हमारा.
------ सतीश मापतपुरी
---- जय बिहार - जय भारत ------
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जीवन और मौसम

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जीवन और मौसम
मन रे ........ काहें को नीर बहाये.
जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये.
शिशिर - बसंत में मस्त पवन बह, अंग -अंग सहलाये.
होली - चईत का धुन हर मन में, मिलन की लगन जगाये.
मौसम की यौवन अनुभूति, नस - नस आग लगाये.
बिरहिन की आँखों - आँखों में, ही रजनी कट जाये.
शीत ऋतु गयी - आई गर्मी, कोमल तन झुलसाये.
जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये.
मन रे ........ काहें को नीर बहाये.
जेठ का तेवर देख के डर से, सब घर में छिप जाये.
दिन - दुपहरिये ही गोरी को, पिय का संग मिल जाये.
गरमी का भी अपना सुख है, सजनी बेन डोलाये.
खेत - बधार से मिल गई छुट्टी , सब मिल मोद मनाये.
पड़त फुहार खिलत मन - बगिया, वर्षा ऋतु जब आये.
जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये.
मन रे ........ काहें को नीर बहाये.
चढ़त अषाढ़ भरे नदी - नाले, खेतों में हरियाली.
सावन में गोरी की हथेली, में मेहंदी की लाली.
आसिन - कार्तिक में खेतों में, झूमे धान की बाली.
अगहन अपने साथ ले आती, घर - घर में खुशहाली.
पौष की धौंस से सहमी गोरी, पिय को सनेस पठाये.
जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये.
मन रे ........ काहें को नीर बहाये.
---- सतीश मापतपुरी
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Wednesday 3 April 2013

राशिफल - मेष - वार्षिक

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मेष
जनवरी
इस महीने में आप वास्तव में थोड़े महत्वाकांक्षी हो जाएंगे। यदि नौकरी-धंधे में परिवर्तन का विचार है तो उसे साकार करने का सही समय शुरु हो गया है। आपके भाग्य भाव का बुध आपको मदद करेगा। आप जितना कम जोश दिखाएंगे उतने सफल रहेंगे। आप दूसरों के साथ सहयोग और समझौते करने के लिए हर पल तैयार रहेंगे। आपकी मानसिक ऊर्जा चरम पर होगी और आप हर बात और हर स्थिति को तुरंत समझ जाएंगे। इतना ही नहीं आप दूसरों के विचारों का भी सम्मान करेंगे उनकी सराहना करेंगे। महीने के आखिरी दिनों में किसी से काफी महत्वपूर्ण बातचीत होगी। जल्दी उग्र न हों।

लव- आपके और पार्टनर के बीच दूरी बढ़ रही है। संवेदनाओं को समझें और बहस में पड़े बिना अगर इसका समाधान निकाल सकें तो ठीक है वरना थोड़ा इंतजार करें।
प्रोफेशन- कार्य की अधिकता रहेगी। बिजनेस वालों का रूका हुआ पैसा मिल जाएगा।
हेल्थ- इस राशि के लोग इस महीने मसालेदार खाना कम खाएं तो स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
करिअर- पढ़ाई में मन लगेगा। मेडिकल विद्यार्थी बहुत चिंतित रहेंगे। टेक्निकल विद्यार्थियों के लिए समय अच्छा है।
फरवरी

इस महीने में आपको किस्मत का साथ मिलेगा। सारी चीजें खुद-ब-खुद आपके पक्ष में होती चली जाएंगी। जो करना चाहते हैं उसकी पूर्ति के लिए कई अवसर मिलेंगे और लेन-देन में फायदा होगा। आप समस्याओं को सुलझा भले ही न सकें उन्हें इस तरह मोड़ जरूर लेंगे कि काम चलने लगे। कामकाज में आ रही जिन अड़चनों के लिए काफी ज्यादा मेहनत और बहुत ज्यादा संयम चाहिए उन्हें सस्ते में सुलझा लेने का असली मौका आपको इस महीने में ही मिलेगा। नौकरी के लिए कोशिश करने, दफ्तर में अपनी पोजीशन बेहतर बनाने के लिए बहुत अच्छा समय आपको मिलेगा। प्रमोशन के या उसके लिए जरूरी बातों की जानकारी मिलने के पूरे चांस हैं।

लव - पत्नी से विवाद हो सकता है, वाणी पर काबू रखें।
प्रोफेशन- खर्च ज्यादा होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। नौकरी के लिए कोशिश करने के लिए बहुत अच्छा दिन है। प्रमोशन के चांस हैं।
करिअर- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए समय ठीक है।
स्वास्थ्य- आपका व परिवार का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
मार्च

इस महीने आप हर समस्या की जड़ में जाएंगे और हर सूचना की गहरी तहकीकात करेंगे। इस महीने में आपके सोचे हुए काम पूरे हो जाएंगे। आपकी भावनाएं आपको उस दिशा में धकेल देंगी, जिस दिशा में आप जाना चाहते हैं। बातचीत संभल कर करें,  इस महीने में जितने इंटरव्यू या मीटिंग है उनके लिए तैयार होकर पेश हों। महीने के आखिरी दिनों में आपको फायदा मिल जाएगा। बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। आपके विरोधी आपको परेशान करेंगे लेकिन आप धैर्य बनाए रखें। नौकरी में बदलाव होगा। यात्रा में सावधान रहें।

लव- गिले-शिकवे दूर होंगे। पुरानी बातें भूल कर जिंदगी की नई शुरुआत करें।
प्रोफेशन- नौकरी मिलेगी या बदलेगी। निवेश के लिए ये महीना अच्छा है। पुराना निवेश भी मुनाफा दिलाएगा।
करिअर- सीए और कम्प्यूटर साइंस स्टूडेंट्स के लिए समय अच्छा है।
स्वास्थ्य- ह्दय रोगी विशेष ध्यान रखें।
अप्रैल
आपकी चिंता और दुविधा समझी जा सकती है। दुविधा यह है कि एक तरफ आप पर करिअर का दबाव है या ज्यादा सही तौर पर आपका करिअर दबाव में हैं वहीं दूसरी तरफ  घरेलू स्थितियां और पैसों की स्थितियां भी कम दबाव नहीं डाल रही हैं। आपको थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। महीने के बीच में आपकी राशि का स्वामी आपकी ही राशि में आ जाएगा जो आपके लिए बहुत ही शुभ फल देने वाला समय रहेगा। आप समझ नहीं पाएंगे कि ऐसे में क्या किया जाना चाहिए। शुभचिंतकों से परामर्श करें। घर में सारे लोग एक साथ बैठ कर विचार करें और उचित यही रहेगा कि आप घर-परिवार की चिंता फिलहाल छोड़ कर नौकरी धंधे के काम निपटाना शुरु कर दें।

लव- अविवाहित प्रेमियों के लिए महीने के आखिरी दिन शुभ फल देने वाले रहेंगे।
प्रोफेशनल- व्यापार में मित्रों से सहयोग मिलेगा। धंधा बढिय़ा चलेगा।
हेल्थ- गैस और एसिडिटी हो सकती है, भोजन पर ध्यान दें।
करिअर- सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स और मेडिकल विद्यार्थियों के लिए मेहनत करने का समय है।

मई
किसी काम में पूरे मन से जुटने के पहले आपको अपने मन को अपनी भावनाओं को काफी खंगालना पड़ सकता है। या तो काम काज की स्थिति आपको भावनात्मक तौर पर चुभ गई है या किसी और कारण से आप बहुत भावुक हो जाएंगे। हो सकता है आपके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच जाए। आत्मचिंतन और प्रेम की एक बूंद आपका सारा कलुष धो देगी और इस महीने में आप पूरे जोश से जीवन का आनंद लेंगे। नए उत्साह का संचार होगा। आप जितना सोचेंगे, जितनी मेहनत करेंगे, आपके उतने काम बनेंगे। सोचे हुए काम पूरे होंगे। काम तो अधिक है लेकिन कड़ी मेहनत से निपट जाएगा। मंगल के प्रभाव से आपकी राशि के लिए प्रोफेशनल लाइफ  के लिए ठीक समय अभी आया है।

लव - दाम्पत्य सुख अच्छा रहेगा। प्रेमियों के लिए भी समय बढिय़ा है। इस महीने में आपके लिए पार्टनर का स्वभाव बहुत अच्छा रहेगा।
प्रोफेशनल- बिजनेस के लिए समय अच्छा नहीं है, निवेश सोच-समझकर करें।
करिअर- प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है।
हेल्थ- इस महीने में आपकी सेहत ठीक रहेगी।

जून
इस महीने में आपको अपने भावनात्मक उद्वेगों पर नियंत्रण के लिए प्रयास करना होगा। कुछ दिनों से चली आ रही आपकी हल्की चिढ़चिढ़ाहट अपने स्थान पर है और आपका ज्यादा भावुक होना आपको और परेशान कर सकता है। कोई भी तर्क-वितर्क विवादों को जन्म दे सकता है। इस तरह दिन बिताने के लिए सबसे अच्छा यह रहेगा कि आप सहयोग और समझौता करने का पक्का इरादा करके ही घर से निकलें। दफ्तर में आपकी असंतुष्टि संभवत: सीधे अपने बॉस से ही चल रही है। अगर आपके दफ्तर में कोई विवाद चल रहा है तो महीने के शुरुआती दिनों में किसी वरिष्ठ और समझदारी व्यक्ति के हस्तक्षेप से वह सुलझ जाएगा।

लव- आपकी जीवनसाथी के साथ लंबी बात होगी। बातचीत में चुभने वाले विषय न उठाएं। किसी मनोरंजक कार्यक्रम में शामिल हों। दिन बीत जाएगा।
प्रोफेशन-  साझेदारी के बिजनेस वालों को अच्छी सफलता प्राप्त होने के योग हैं। बदलाव के विचारों को काबू में रखें।
हेल्थ- आपका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक रहेगा।
करिअर- बिजनेस के विद्यार्थियों को अच्छी सफलता प्राप्त होने के योग हैं।

जुलाई

आपकी महत्वाकांक्षाएं इस महीने में काफी ज्यादा हैं और वही आपके जीवन और करिअर को उन्नति के रास्ते पर आगे धकेल रही हैं। जल्दबाजी के कारण जो काम बिगड़ा था वो इन दिनों में सुधार सकते हैं। आप बदलाव का पूरी ताकत से विरोध करने के मूड में रहेंगे। इस कारण आलोचना भी होगी। परिवार का कोई मसला सुलझ जाएगा। आपका मन अकेले बैठने का है लेकिन मित्रों के साथ फिजूल की बातों में समय खराब होगा। लेन-देन पहले ही निपटा लें। आपको अपने प्रेम जीवन के बारे में कोई अच्छा समाचार मिलेगा। कोई आपको प्रपोज कर सकता है या शादी का प्रस्ताव मिल सकता है। आप हर काम में थोड़ी हड़बड़ी दिखा रहे होंगे लिहाजा थोड़ा सतर्क होकर चलें।

लव- बिछड़े साथियों को याद करते रहेंगे। समय अपने पार्टनर की भावनाओं को समझने और उसके मन के घाव भरने का है।
प्रोफेशन- कार्यक्षेत्र और बिजनेस में सावधान रहना जरूरी है। अपना व्यवहार लचीला रखें तो अच्छा होगा।
हेल्थ- भोजन में ध्यान रखें और मसालेदार चीजों से बचें।
करिअर- स्टूडेंट्स के लिए दिन अच्छा है। पढ़ाई में मन लगेगा।
अगस्त
आप अपने काम की प्राथमिकता तय नहीं कर पाएंगे। इस महीने में आपकी राशि का स्वामी मंगल तीसरे और चौथे भाव में रहेंगे। इस महीने लिहाजा जो काम सामने आए, उसे निपटाते चले जाएं और दूसरों से मदद बेधड़क मांग लें। बिजनेस या निवेश का कोई प्रस्ताव है तो उस पर बहुत सावधानी से विचार कर लें। अचानक कोई अड़चन या समस्या आ सकती है। आने पर आप अपना आपा न खोएं, धैर्य से निर्णय लें तो सफलता मिलेगी। अगर आपके संबंधों में सबकुछ ठीक-ठाक है तो प्रेम संबंधों की दो दिनों से चली आ रही ताजगी और गर्मजोशी लंबे समय तक बनी रहेगी।

लव- जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। प्रेमी से सरप्राइज मिलेगा।
प्रोफेशन- व्यापार में नए सौदे की प्राप्ति होगी। नौकरी पेशा लोगों के लिए महीने के शुरुआती दिन ठीक रहेंगे।
हेल्थ- पुराने रोगों से परेशान हो सकते हैं। सावधान रहें।
करिअर- व्यवसायी पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को अतिरिक्त मेहनत करना होगी।

सितंबर

ये महीना आपके लिए थोड़ा परेशानियों भरा हो सकता है। कड़ी मेहनत करके और नतीजे दिखाकर आपको अपने काम से खुशी होगी। अचानक घटने वाले घटनाक्रम आपको आश्चर्य में डालेंगे लेकिन आप समझदारी से काम लेते हुए अपना समय खराब नहीं जाने देंगे। कार्यक्षेत्र में जिम्मेदारी भी बढ़ेगी और आपको सफलता भी मिलेगी हालांकि थोड़ी भागदौड़ होगी और बाधाएं आएंगी। जिस काम में हाथ डालने के लिए मन में हिचकिचाहट हो रही हो उसे फिलहाल छोड़ ही दें। कुछ नए अनुभव आपको पूरी तरह बोर होने से बचा लेंगे। जीवन के कुछ क्षेत्रों में बदलाव आना शुरु हो रहा है। जो लोग आपके जीवन में अहम हैं या हो सकते हैं, उनके साथ अपने संबंधों में एक नई शुरुआत की कोशिश करें।
लव-  पार्टनर से अचानक खुशखबरी मिल सकती है। इससे आपका मनोबल भी बढ़ेगा।
प्रोफेशनल- कार्यक्षेत्र में अधिकारियों का सहयोग मिलेगा।
हेल्थ- आलस्य और थकान से परेशान हो सकते हैं।
करिअर- कॉमर्स विषय से जुड़े विद्यार्थियों को तनाव हो सकता है।

अक्टूबर
निवेश से आपको लाभ होगा। आप कहीं से वह पैसा निकाल सकते हैं जो काफी समय से जमा है। रोजमर्रा के काम में मन नहीं लगेगा, कुछ नया प्रयोग करने की इच्छा होगी। कॉन्फिडेंस बढ़ेगा, उम्मीद, हौंसला सब बढ़ेगा। हिम्मत और जोश से ही काम न लें, दिमाग से भी काम लें। आपके काम बिगड़ सकते हैं। आपके दुश्मन आप पर हावी हो सकते हैं आपके सोचे हुए काम बिगड़ सकते हैं। किसी ऐसे काम में हाथ डालने से बचें जो किस्मत के बूते हो।  भागीदारी में आपके निर्णय लाभदायी होंगे। लव लाइफ  में कुछ परिवर्तन आने के योग बन रहे हैं। सेहत का ध्यान रखें। विद्यार्थियों के लिए दिन अच्छे रहेंगे।

लव-  लव लाइफ  में कुछ परिवर्तन आऐंगे। महसूस होने वाली थकावट पारिवारिक उत्साह पर असर डालेगी। अविवाहितों के लिए समय अच्छा है।
प्रोफेशन- कार्यक्षेत्र में पैसों से संबंधित परेशानियां खत्म होने के दिन है। मेहनत से पद और सम्मान प्राप्त करेंगे।
हेल्थ- सेहत का ध्यान रखें। वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं।
करिअर- विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलेगी।

नवंबर

जो कुछ जरूरी काम है, जल्दी ही निपटा लें। सगे-संबंधियों से ही आपको धोखा हो सकता है। निर्माण कार्य में व्यय होने की संभावना है। विवादों से और जरूरत से ज्यादा पैसे खर्च करने से दूर रहने का प्रयास करें। नया काम शुरुआती दिनों में न करें। कहीं पैसा भी न फंसाएं। महिलाओं को सिर दर्द, माइग्रेन होने की संभावना है। पैसों से जुड़े खास निर्णय महीने के शुरुआती दिनों में न लें तो ही अच्छा है। अगर आप स्टूडेंट हैं, तो आपके मन में अपनी शिक्षा की भावी योजना बदलने का विचार आएगा। लेकिन आपके इस विचार पर जल्दबाजी न करें। कुछ समय बाद आपको कोई नई बात पता चलेगी और फिर आपको अपना इरादा बदलना पड़ेगा।

लव- आपका पार्टनर अति संवेदनशील रहेगा। सोच समझकर बोलें। आपके इरादे और सोच-विचार पार्टनर को रास नहीं आएंगे। ऐसी हालत में पार्टनर के सामने कोई फरमाइश न रखें तो ही बेहतर है।
प्रोफेशन- कार्य की अधिकता आपको परेशान कर सकती है। दफ्तर में माहौल हल्का-फुल्का बना रहे, इसी में आपका हित है। जायदाद संबंधी समस्या का समाधान होगा।
हेल्थ- महिलाओं को सिरदर्द और छोटे-छोटे रोग परेशान कर सकते हैं।।
करिअर- मेडिकल और एमबीए के विद्यार्थियों के लिए समय सामान्य रहेगा।

दिसंबर
इस महीने में आपको ऐसी जानकारी मिलेगी, जिससे आप अपने जीवनसाथी के साथ संबंधों में आ रही अड़चनों से पार पा सकें। हर हालत में आपके और आपके पार्टनर के बीच काफी बातचीत होगी। परिवार के साथ संबंधों में और अपने स्वास्थ्य में सुधार होगा। जिन लोगों के साथ आपकी बातचीत लगभग ठप्प पड़ी थी, उनसे फिर संवाद होगा। नौकरी-धंधे के क्षेत्र में आप ज्यादा संतुष्टि की तलाश में डटे रहेंगे। जो कामकाज में ज्यादा सुरक्षा के मुद्दों तक जाएगी। कार्यक्षेत्र में आप किसी नई तकनीक का प्रयोग करेंगे। आपको कोई किताब या कोई और पठन सामग्री मिलेगी जो आपके बहुत काम की साबित होगी।

लव- अविवाहितों के लिए समय शुभ रहेगा। प्रेम प्रस्ताव मिलेंगे।
प्रोफेशन- विवाद का शिकार हो सकते हैं। वाणी पर संयम रखें।
हेल्थ-  स्वास्थ्य में कुछ खास परिवर्तन नहीं होगा। सबकुछ सामान्य रहेगा।
करिअर-  मेडिकल और एमबीए के विद्यार्थियों के लिए समय सामान्य रहेगा।

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स्त्री हो या पुरुष को पलंग के नीचे रखना चाहिए ये चीजें

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आज अधिकांश लोगों को ठीक से नींद न आने की शिकायत रहती है। ऐसे में वे कई प्रकार की चिकित्सकीय उपचार अवश्य करवाते हैं, लेकिन यदि नींद की यह समस्या ठीक नहीं हो रही हो तो यहां दी गई बातों का ध्यान हमेशा रखें।
घरों में पलंग के नीचे कुछ न कुछ सामान अवश्य ही रखा जाता है, यह एक सामान्य सी बात है। पलंग या बेड का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। 24 घंटे में से कम से कम 6-8 घंटे हम सोते हैं।
इस बात से स्पष्ट है कि अच्छी नींद के लिए अच्छा बेड होना बहुत जरूरी है। यहां दिए गए फोटो पर क्लिक करें और जानिए पलंग से जुड़ी खास बातें...
 बता रहे है , बिभा कॉलेज के एक्सपर्ट :
वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि बेड भी अच्छा हो लेकिन फिर भी उस पर सोने वाले लड़के या लड़की की शादी नहीं हो रही है या अन्य कोई परेशानियां चल रही है तो संभवत: उनके पलंग के नीचे वास्तुदोष उत्पन्न करने वाली वस्तुएं रखी हुई हो सकती हैं। यदि पलंग के नीचे वास्तुदोष होगा तो कई प्रकार के मानसिक तनाव पैदा हो सकते हैं। मन व्यर्थ की बातों में भटक सकता है।
 
विवाह योग्य लड़के और लड़कियां जिस पलंग पर सोते हों उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या व्यर्थ का सामान नहीं रखना चाहिए। इनसे वास्तुदोष उत्पन्न होता है। ऐसी चीजों के कारण अविवाहित लोगों का मन गलत दिशा में भटकता है। इस वजह से उन्हें विवाह के बाद कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
 
वास्तु शास्त्र सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांत पर कार्य करता है। अत: ऐसी वस्तुओं से नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है जिससे युवाओं के विचारों में भी नकारात्मकता पैदा होती है। उनका मन व्यर्थ की बातों में भटकने लगता है और उन्हें मानसिक शांति नहीं मिल पाती।
 
कभी-कभी कोई लड़का या लड़की पूर्णतया योग्य है और उसका परिवार भी सभ्य तथा समाज में सम्मान पाने वाला है फिर भी उनकी शादी नहीं हो रही हो तो यह चिंताजनक विषय है। ऐसी परिस्थिति में विवाह योग स्त्री-पुरुष के पलंग के नीचे ध्यान देना चाहिए। यदि पलंग के नीचे गलत वस्तुएं रखी हैं तो उन्हें तुरंत हटा देना चाहिए। ऐसा करने पर विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
 
पलंग के नीचे वास्तुदोष होने से बुरे सपने आते हैं, विचार अशुद्ध होते हैं, अधार्मिक कृत्य करने का मन बन सकता है। इनसे बचने के लिए पलंग के नीचे की व्यवस्था का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
 
वास्तुदोष बढ़ाने वाली चीजें जैसे लौहे की बेकार चीजें, अधिक वजन वाला कोई सामान, अनुपयोगी वस्तुएं, पलंग के नीचे ठीक से साफ-सफाई न होना, दवाइयां आदि होना, अधार्मिक वस्तुएं पलंग के नीचे होना, इन बातों से कई प्रकार के दोषों को उत्पन्न होते हैं। अत: पलंग के नीचे साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए।
 
**ये सभी उपाय अपनी विश्वास पर निर्भर करती है. 
 
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पोषण (Nutrition)

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पोषण (Nutrition)
पादप अपने कार्बनिक खाद्यों के लिए (कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन और विटामिन) केवल वायुमंडल पर ही निर्भर नहीं रहते हैं, इसलिए इन्हें स्वपोषी (Autotrophs) कहते हैं। कुछ जीवाणु भी सौर ऊर्जा या रासायनिक ऊर्जा का इस्तेमाल कर अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। उन्हें क्रमश: फोटोऑटोट्रॉफ या कीमोऑटोट्रॉफ कहते हैं। दूसरी तरफ जीव, कवक और अधिकांश जीवाणु, अपना भोजन  निर्माण करने में सक्षम नहीं हैं और वे इसे वायुमंडल से प्राप्त करते हैं। ऐसे सभी जीवों को परपोषी (heterotroph) कहते हैं।

भोजन (Food)
जीवधारी मुख्यत: ऊर्जा प्राप्त करने के लिए खाते हैं। भोजन के निम्नलिखित अवयव होते हैं-
  • कार्बोहाइड्रेट- इसका फार्मूला CN(H2O)N  है। इसके स्रोत आलू, चावल, गेहूँ, मक्का, केला, चीनी इत्यादि हैं। इसको तीन भागों में बांटा गया है-
    • मोनोसैकेराइड - ये सबसे सरल शर्करा होती हं। उदाहरण- राइबोज़, पेन्टोजेज, ग्लूकोज, फ्रक्टोज आदि।

    • डाइसैकेराइड- ये दो मोनोसैकेराइड इकाइयों के जोड़ से बनते हैं। उदाहरण- लेक्टोज, सुक्रोज आदि।

    • पॉलीसैकेराइड- ये बहुत सारी मोनोसैकेराइड इकाइयों के जोड़ से बनते हैं। उदाहरण- स्टार्च, ग्लाइकोजेन, सैल्युलोज।
  • वसा (Fat) - इन पदार्थों में C, H व O होते हैं, लेकिन रासायनिक तौर पर ये कार्बोहाइड्रेट से बिल्कुल अलग हैं। वसा ग्लिसरॉल और वसीय अम्लों के ईस्टर हैं।

  • प्रोटीन (Protein)- ये सामान्यतया C, H, o, N और  S से बनते हैं। ये खाद्य जटिल रासायनिक यौगिक होते हैं और छोटी आंत द्वारा नहीं तोड़े जा सकते हैं। ये एंजाइम द्वारा तोड़े जाते हैं। इनके मुख्य स्रोत दूध, अण्डे, मछली, माँस, दालें आदि हैं।


पाचन (digestion)
पाचन की प्रक्रिया में खाने के कण टूटकर अणु बनाते हैं जो इतने छोटे होते हैं कि रक्त प्रवाह में मिल कर जहाँ उनकी आवश्यकता होती हैं वहीं शरीर में वितरित हो जाते हैं।
लगभग 90 प्रतिशत पचा हुआ भोजन और 10 प्रतिशत जल व खनिज छोटी आंत द्वारा अवशोषित किए जाते हैं। 3-6 घंटे के दौरान जब भोजन छोटी आंत में रहता है तब सक्रिय परिवहन और विसरण दोनों ही सरलीकृत पोषकों के अवशोषण के लिए आवश्यक हैं। अमीनो अम्ल, शर्करा, कुछ विटामिन, खनिज और जल अंकुरों की कोशिकाओं में प्रवेश कर जाती हैं। लेकिन वसीय अम्ल और ग्लीसरॉल सूक्ष्म बिंदुकों के रुप लैक्टील में प्रवेश करते हैं।
विटामिन आवश्यकता
विटामिन A ५००० IU*
विटामिन - B कॉम्पलेक्स थायोमीन 1.5 मिग्रा.
राइबोफ्लेविन 1.8 मिग्रा
नियासिन 18 मिग्रा.
विटामिन B6 2 मिग्रा
पेन्टोथेनिक एसिड 10 मिग्रा
विटामिन C या एस्कॉर्बिक एसिड 75 मिग्रा.
विटामिन D ४०० IU*
विटामिन K **

 *     अंतर्राष्ट्रीय यूनिट
  **     शरीर की आंत के जीवाणुओं द्वारा संश्लेषित
पोषणिक आवश्यकताएँ
एक संतुलित आहार में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, जल और खनिज पदार्थ उचित अनुपात में और विटामिन प्रचुर मात्रा में होने चाहिए। इन सभी पदार्थों की पोषक विशेषताएँ निम्न हैं-
  • प्रोटीन- इन्हें जीवन की सामग्री कहते हैं। एक ग्राम प्रोटीन के पूर्ण दहन पर 5-6 kcal मिलती है। इसलिए प्रोटीन की दैनिक औसत जरूरत 55 से 70 ग्राम होती है।

  • कार्बोहाइड्रेट- कार्बोहाइड्रेट पाचन में मुख्य अंतिम उत्पाद ग्लूकोज होता है। इसका ऊर्जा उत्पादन में सक्रियता से उपयोग होता है। एक ग्राम ग्लूकोज के पूर्ण दहन पर 4.2 Kcal निकलती है। कार्बोहाइड्रेट की दैनिक आवश्यकता 400-500 ग्राम होती है।

  • वसा- वसा ऊर्जा का मुख्य स्रोत है जिसके एक ग्राम के पूर्ण दहन से 9.0 Kcal कैलरी ऊर्जा मिलती है। एक सामान्य आहार  में करीब 75 ग्राम वसा होनी चाहिए। वसा की कमी से कुछ अपूर्णता रोग हो जाते हैं।

  • खनिज- ये कोशिका और ऊतक की भौतिक दशा को कायम रखने में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  कैल्शियम, सोडियम, पौटेशियम, आइरन इत्यादि प्रमुख खनिज हैं।

  • विटामिन - इनकी आवश्यकता अल्प मात्रा में होती है, लेकिन इनकी कमी से अपूर्णता रोग हो जाते हैं। विटामिनों की न्यूनतम आवश्यकता निम्न तालिका में दी गई है-

विशिष्ट कैलोरी आवश्यकताएँ
कैलोरी की मात्राएँ आवश्यकता लिंग, आयु, कार्य की प्रकृति और पर्यावरण पर निर्भर करती है। आहार ग्रहण करने से उपापचय 10 प्रतिशत उद्दीप्त (stimulate) हो जाता है। 8 घंटों के आराम के दौरान, हल्की फुल्की क्रियाओं में, ऊर्जा व्यय ४० Kcal प्रति घण्टा तक बढ़ जाता है।


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भिन्न प्रकार के रोग एवं उनके लक्षण

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 बैक्टीरिया से होने वाले रोग
रोग का नाम रोगाणु का नाम प्रभावित अंग
लक्षण
हैजा बिबियो कोलेरी पाचन तंत्र उल्टी व दस्त, शरीर में ऐंठन एवं डिहाइड्रेशन
टी. बी. माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस फेफड़े खांसी, बुखार, छाती में दर्द, मुँह से रक्त आना
कुकुरखांसी वैसिलम परटूसिस फेफड़ा बार-बार खांसी का आना
न्यूमोनिया डिप्लोकोकस न्यूमोनियाई फेफड़े छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी
ब्रोंकाइटिस जीवाणु श्वसन तंत्र छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी
प्लूरिसी जीवाणु फेफड़े छाती में दर्द, बुखार, सांस लेने में परेशानी
प्लेग पास्चुरेला पेस्टिस लिम्फ गंथियां शरीर में दर्द एवं तेज बुखार, आँखों का लाल होना तथा गिल्टी का निकलना
डिप्थीरिया कोर्नी वैक्ट्रियम गला गलशोथ, श्वांस लेने में दिक्कत
कोढ़ माइक्रोबैक्टीरियम लेप्र तंत्रिका तंत्र अंगुलियों का कट-कट कर गिरना, शरीर पर दाग
टाइफायड टाइफी सालमोनेल आंत बुखार का तीव्र गति से चढऩा, पेट में दिक्कत और बदहजमी
टिटेनस क्लोस्टेडियम टिटोनाई मेरुरज्जु मांसपेशियों में संकुचन एवं शरीर का बेडौल होना
सुजाक नाइजेरिया गोनोरी प्रजनन अंग जेनिटल ट्रैक्ट में शोथ एवं घाव, मूत्र त्याग में परेशानी
सिफलिस ट्रिपोनेमा पैडेडम प्रजनन अंग जेनिटल ट्रैक्ट में शोथ एवं घाव, मूत्र त्याग में परेशानी
मेनिनजाइटिस ट्रिपोनेमा पैडेडम मस्तिष्क सरदर्द, बुखार, उल्टी एवं बेहोशी
इंफ्लूएंजा फिफर्स वैसिलस श्वसन तंत्र नाक से पानी आना, सिरदर्द, आँखों में दर्द
ट्रैकोमा बैक्टीरिया आँख सरदर्द, आँख दर्द
राइनाटिस एलजेनटस नाक नाक का बंद होना, सरदर्द
स्कारलेट ज्वर बैक्टीरिया श्वसन तंत्र बुखार

वायरस से होने वाले रोग
रोग का नाम प्रभावित अंग लक्षण
गलसुआ पेरोटिड लार ग्रन्थियां लार ग्रन्थियों में सूजन, अग्न्याशय, अण्डाशय और वृषण में सूजन, बुखार, सिरदर्द। इस रोग से बांझपन होने का खतरा रहता है।
फ्लू या एंफ्लूएंजा श्वसन तंत्र बुखार, शरीर में पीड़ा, सिरदर्द, जुकाम, खांसी
रेबीज या हाइड्रोफोबिया तंत्रिका तंत्र बुखार, शरीर में पीड़ा, पानी से भय, मांसपेशियों तथा श्वसन तंत्र में लकवा, बेहोशी, बेचैनी। यह एक घातक रोग है।
खसरा पूरा शरीर बुखार, पीड़ा, पूरे शरीर में खुजली, आँखों में जलन, आँख और नाक से द्रव का बहना
चेचक पूरा शरीर विशेष रूप से चेहरा व हाथ-पैर बुखार, पीड़ा, जलन व बेचैनी, पूरे शरीर में फफोले
पोलियो तंत्रिका तंत्र मांसपेशियों के संकुचन में अवरोध तथा हाथ-पैर में लकवा
हार्पीज त्वचा, श्लष्मकला त्वचा में जलन, बेचैनी, शरीर पर फोड़े
इन्सेफलाइटिस तंत्रिका तंत्र बुखार, बेचैनी, दृष्टि दोष, अनिद्रा, बेहोशी। यह एक घातक रोग है

प्रमुख अंत: स्रावी ग्रंथियां एवं उनके कार्ये
ग्रन्थि का नाम हार्मोन्स का नाम कार्य
पिट्यूटरी ग्लैंड या पियूष ग्रन्थि सोमैटोट्रॉपिक हार्मोन
थाइरोट्रॉपिक हार्मोन
एडिनोकार्टिको ट्रॉपिक हार्मोन
फॉलिकल उत्तेजक हार्मोन
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन
एण्डीड्यूरेटिक हार्मोन
कोशिकाओं की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
थायराइड ग्रन्थि के स्राव का नियंत्रण करता है।
एड्रीनल ग्रन्थि के प्रान्तस्थ भाग के स्राव का नियंत्रण करता है।
नर के वृषण में शुक्राणु जनन एवं मादा के अण्डाशय में फॉलिकल की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
कॉर्पस ल्यूटियम का निर्माण, वृषण से एस्ट्रोजेन एवं अण्डाशय से प्रोस्टेजन के स्राव हेतु अंतराल कोशिकाओं का उद्दीपन
शरीर में जल संतुलन अर्थात वृक्क द्वारा मूत्र की मात्रा का नियंत्रण करता है।
थायराइड ग्रन्थि थाइरॉक्सिन हार्मोन वृद्धि तथा उपापचय की गति को नियंत्रित करता है।
पैराथायरायड ग्रन्थि पैराथायरड हार्मोन
कैल्शिटोनिन हार्मोन
रक्त में कैल्शियम की कमी होने से यह स्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम फास्फोरस की आपूर्ति को नियंत्रित करता है।
रक्त में कैल्शियम अधिक होने से यह मुक्त होता है।
एड्रिनल ग्रन्थि
  • कॉर्टेक्स ग्रन्थि
  • मेडुला ग्रन्थि
ग्लूकोर्टिक्वायड हार्मोन
मिनरलोकोर्टिक्वायड्स हार्मोन
एपीनेफ्रीन हार्मोन
नोरएपीनेफ्रीन हार्मोन
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा उपापचय का नियंत्रण करता है।
वृक्क नलिकाओं द्वारा लवण का पुन: अवशोषण एवं शरीर में जल संतुलन करता है।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
अग्नाशय की लैगरहेंस की इंसुलिन हार्मोन रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।
द्विपिका ग्रन्थि ग्लूकागॉन हार्मोन रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।
अण्डाशय ग्रन्थि एस्ट्रोजेन हार्मोन
प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन
रिलैक्सिन हार्मोन
मादा अंग में परिवद्र्धन को नियंत्रित करता है।
स्तन वृद्धि, गर्भाशय एवं प्रसव में होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
प्रसव के समय होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
वृषण ग्रन्थि टेस्टेरॉन हार्मोन नर अंग में परिवद्र्धन एवं यौन आचरण को नियंत्रित करता है।



विटामिन की कमी से होने वाले रोग
विटामिन
रोग
स्रोत
विटामिन ए रतौंधी, सांस की नली में परत पडऩा मक्खन, घी, अण्डा एवं गाजर
विटामिन बी1 बेरी-बेरी दाल खाद्यान्न, अण्डा व खमीर
विटामिन बी2 डर्मेटाइटिस, आँत का अल्सर,जीभ में छाले पडऩा पत्तीदार सब्जियाँ, माँस, दूध, अण्डा
विटामिन बी3 चर्म रोग व मुँह में छाले पड़ जाना खमीर, अण्डा, मांस, बीजवाली सब्जियाँ, हरी सब्जियाँ आदि
विटामिन बी6 चर्म रेग दूध, अंडे की जर्दी, मटन आदि
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औषधियाँ

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औषधियाँ
औषधियाँ रोगों के इलाज में काम आती हैं। प्रारंभ में औषधियाँ पेड़-पौधों, जीव जंतुओं से प्राप्त की जाती थीं, लेकिन जैसे-जैसे रसायन विज्ञान का विस्तार होता गया, नए-नए तत्वों की खोज हुई तथा उनसे नई-नई औषधियाँ कृत्रिम विधि से तैयार की गईं।

औषधियों के प्रकार  (Kinds of drugs)
  • अंत:स्रावी औषधियाँ (Endrocine Drugs)- ये औषधियाँ मानव शरीर मे प्राकृतिक हारमोनों के कम या ज्यादा उत्पादन को संतुलित करती हैं। उदाहरण- इंसुलिन का प्रयोग डायबिटीज़ के इलाज के  लिए किया जाता है।

  • एंटीइंफेक्टिव औषधियाँ (Anti-Infective Drugs) - एंटी-इंफेक्टिव औषधियों को एंटी-बैक्टीरियल, एंटी वायरल अथवा एंटीफंगल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इनका वर्गीकरण रोगजनक सूक्ष्मजीवियों के प्रकार पर निर्भर करता है। ये औषधियाँ सूक्ष्मजीवियों की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करके उन्हें समाप्त कर देती हैं जबकि मानव शरीर इनसे अप्रभावित रहता है।

  • एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) - एंटीबायोटिक्स औषधियाँ अत्यन्त छोटे सूक्ष्मजीवियों, मोल्ड्स, फन्जाई (fungi) आदि से बनाई जाती हैं। पेनिसिलीन, ट्रेटासाइक्लिन, सेफोलोस्प्रिन्स, स्ट्रेप्टोमाइसिन, जेन्टामाइसिन आदि प्रमुख एंटीबायोटिक औषधियाँ हैं।

  • एंटी-वायरल औषधियाँ (Anti-Virul Drugs) - ये औषधियाँ मेहमान कोशिकाओं में  वायरस के प्रवेश को रोककर उसके जीवन चक्र को प्रभावित करती हैं। ये औषधियाँ अधिकांशता रोगों को दबाती ही हैं। एड्स संक्रमण के मामलों में अभी तक किसी भी प्रभावी औषधि का निर्माण संभव नहीं हो सका है।

  • वैक्सीन (Vaccine) - वैक्सीन का प्रयोग कनफेड़ा (Mumps), छोटी माता, पोलियो और इंफ्लूएंजा जैसे रोगों में,  एंटी-वायरल औषधि के रूप में किया जाता है। वैक्सीनों का निर्माण जीवित अथवा मृत वायरसों से किया जाता है। प्रयोग के पूर्व इनका तनुकरण किया जाता है। वैक्सीन के शरीर में प्रवेश से मानव इम्यून प्रणाली का उद्दीपन होता है जिससे एंडीबॉडीज़ का निर्माण होता है। ये एंटीबॉडीज़ शरीर को समान प्रकार के वायरस के संक्रमण से बचाती हैं।

  • एंटी-फंगल औषधियाँ (Anti-fungal Drugs) - एंटी फंगल औषधियाँ कोशिका भित्ति में फेरबदल करके फंगल कोशिकाओं को चुनकर नष्टï कर देती हैं। कोशिका के जीव पदार्थ का स्राव हो जाता है और वह मृत हो जाती है।

  • कार्डियोवैस्कुलर औषधियाँ- ये औषधियाँ हृदय और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती हैं। इनका वर्गीकरण उनकी क्रिया के  आधार पर किया जाता है। एंटीहाइपरटेन्सिव औषधियाँ रक्त वाहिकाओं को फैलाकर रक्तचाप पैदा कर देती हैं। इस तरह से संवहन प्रणाली में हृदय से पंप करके भेजे गए रक्त की मात्रा कम हो जाती है। एंटीआरिदमिक औषधियाँ (Antiaryrrythmic drugs) हृदय स्पंदनों को नियमित करके हृदयाघात से मानव शरीर को बचाती हैं।

रक्त को प्रभावित करने वाली औषधियाँ
  • एंटी-एनीमिक औषधियाँ (Antianemic drugs) जिनमें कुछ विटामिन अथवा आइरन शामिल हैं, लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देती हैं।

  • एंटीकोएगुलेंट औषधियाँ (Anticoagulants drugs)- हेपारिन जैसी औषधियाँ रक्त जमने की प्रक्रिया को घटाकर रक्त संचरण को सुचारू करती हैं।

  • थ्रॉम्बोलिटिक औषधियाँ (Thrombolytics drugs) -  ये औषधियाँ रक्त के थक्कों को घोल देती हैं जिनसे रक्त वाहिकाओं को जाम होने का खतरा होता है। रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेड की वजह से हृदय व मस्तिष्क को रक्त व ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती है।

केंद्रीय स्नायु तंत्र की औषधियाँ (Central Nervous System Drugs) -
ये वे औषधियाँ हैं जो मेरूदण्ड और मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। इनका प्रयोग तंत्रिकीय और मानसिक रोगों के इलाज में किया जाता है। उदाहरण के लिए एंटी-एपीलेप्टिक औषधियाँ (antiepilyptic drugs) मष्तिष्क के अतिउत्तेजित क्षेत्रों की गतिविधियों को कम करके मिर्गी के दौरों को समाप्त कर देती हैं। एंटी-साइकोटिक औषधियाँ (anti-pcychotic drugs) सीजोफ्रेनिया (schizophrenia) जैसे मानसिक रोगों के इलाज मेंं  काम आती हैं। एंटी-डिप्रेसेंट औषधियाँ (anti-depressent drugs) मानसिक अवसाद की स्थिति को समाप्त करती हैं।
एंटीकैंसर औषधियाँ (Anticancer Drugs)-
ये औषधियाँ कुछ कैंसरों को अथवा उनकी तीव्र वृद्धि और फैलाव को रोकती हैं। ये औषधियाँ सभी कैंसरों के लिए कारगर नहीं होती हैं। पित्त की थैली, मस्तिष्क, लिवर अथवा हड्डïी इत्यादि के कैंसरों के लिए अलग-अलग औषधियाँ होती हैं। ये औषधियाँ कुछ विशेष तंतुओं अथवा अंगों के लिए विशिष्टï होती हैं। एंटी कैंसर औषधियाँ विशेष कैंसर कोशिकाओं में हस्तक्षेप करके अपना कार्य अंजाम देती हैं।
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एनआईओएस - नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ ओपन स्कूलिंग

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यदि कोई दसवीं या बारहवीं की परीक्षा किसी वजह से उत्तीर्ण नहीं कर पाया है और बेहतर विकल्प की तलाश कर रहा है, तो उसके लिए एनआईओएस में अच्छे विकल्प हैं। बहुत से ऐसे स्टूडेंट्स, जो छठी-सातवीं कक्षा से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, उनके लिए भी यहां आगे पढ़ने के अवसर हैं। 1989 में एनआईओएस यानी नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ ओपन स्कूलिंग की स्थापना की गई थी। एनआईओएस को पहले नेशनल ओपन स्कूल के नाम से जाना जाता था।
विशेषताएनआईओएस की ओर से स्कूल स्तर की शिक्षा के अलावा वोकेशनल कोर्स भी कराए जाते हैं। इसके अंतर्गत अपनी जरूरत के अनुसार किसी भी विषय को चुना जा सकता है। इसके साथ एक भाषा संबंधी विषय भी चुनना अनिवार्य होता है। एनआईओएस में प्रवेश लेने वालों के लिए अधिकतम आयु सीमा नहीं होती है।
कोर्सेज
 • ओपन बेसिक एजुकेशन
 • सेकेंडरी सर्टिफिकेट कोर्स
 • सीनियर सेकेंडरी सर्टिफिकेट कोर्स
 • वोकेशनल एजुकेशन
योग्यता
सेकेंडरी कोर्स में प्रवेश के लिए आठवीं पास होना जरूरी है। सीनियर सेकेंडरी सर्टिफिकेट कोर्स करने के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से दसवीं पास अनिवार्य है। सेकेंडरी तथा सीनियर सेकेंडरी सर्टिफिकेट के माध्यम से किसी भी वोकेशनल कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है।
मान्यता
लोगों को सामान्यत: यह शंका रहती है कि ओपन स्कूल से की जाने वाली पढ़ाई की वैल्यू रेग्युलर पढ़ाई की तरह नहीं होती है। यह धारणा बिल्कुल गलत है। लगभग 75 प्रतिशत विश्वविद्यालयों ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग के सीनियर सेकेंडरी कोर्स को अपने यहां प्रवेश के लिए मान्यता दे रखी है।
राज्यों में ओपन स्कूलएनआईओएस के रीजनल सेंटर हैदराबाद, पुणे, कोलकाता (भुवनेश्वर), गुवाहाटी, चंडीगढ़, दिल्ली, इलाहाबाद (देहरादून), पटना, जयपुर, कोच्चि तथा भोपाल में स्थित हैं। इसके अलावा हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल व जम्मू और कश्मीर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल के साथ मिलकर राज्य स्तरीय ओपन स्कूल स्थापित किए गए हैं। राजस्थान और आंध्रप्रदेश के अपने ओपन स्कूल हैं।
शिक्षण विधियां
संस्थान में मॉडर्न कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती है। छात्रों को सेल्फ लर्निंग मैटीरियल दिया जाता है, जिसमें सहायता के लिए हर सेंटर पर कॉन्टैक्ट क्लासेज होती हैं। यहां ऑडियो और विडियो प्रोग्राम्स के माध्यम से भी समय-समय पर छात्रों को सहायता दी जाती है।
आवेदनएनआईओएस में एडमिशन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। एकेडमिक कोर्स (सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी) में दाखिले की प्रक्रिया 1 जुलाई से 31 अगस्त तक चलती है। वोकेशनल एजुकेशन में एडमिशन  की प्रक्रिया पूरे वर्ष चालू रहती है। इस बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए  www.nios.ac.in पर लॉग ऑन किया जा सकता है।
इस सम्बन्ध में बिहार और नेपाल के लिए NIOS ने "बिभा इंटरनेशनल स्कूल को" अधिकृत  है. विशेष जानकारी के लिए छात्र संपर्क करे -8002585971, 08986054337 , http://bivha.in
पता: ए 31, इंस्टीट्यूशनल एरिया, सेक्टर 62, गौतमबुद्ध नगर, उत्तरप्रदेश, फोन :  0120-2404914, 0120-2404915
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1- ओलंपस PEN Lite E-PL5

माना जाता हैफोटोग्रॉफ्स हमारे दिलो-दिमाग पर पुख्ता असर छोडते हैं। कई बार जिन चीजों को पढकर नहीं समझा जा सकता, उन्हें बडी आसानी से देखकर हम न केवल समझ लेते हैं बल्कि महसूस भी करते हैं। यदि आप भी इस पर यकीन करते हैं तो ओलंपस इमेजिंग कॉर्पोरेशन की ताजा पेशकश ढएठ छ्र3ी ए-ढछ5 कैमरा आपके ही लिए है। अपने आप में कई खूबियों वाले इस डिजिटल कैमरे को ओलंपस डट-ऊ ए-ट5 का उत्तराधिकारी माना जा रहा है। इसकी 16.05 मेगापिक्सल लाइव एमओएस सेंसर्स,3 इंच टिल्िटग टच स्क्रीन, 12 आर्ट फिल्टर्स, 6आर्ट इफेक्ट, स्टीरियो साउंड के साथ दिए गए फुल एचडी वीडियो, तस्वीरों में दिखने वाले शानदार अंडर व ओवर एक्सपोजर के लिए एचडीआर ब्रैकेटिंग, 8 ऋश्च2 हाईस्पीड स्वीकेंशल शूटिंग जैसी सहूलियतें इसे बेहद स्पेशल बनाती हैं।

2- गैजेट ट्रैक

मोबाइल या अपना पसंदीदा गैजेट गुम हो जाना अक्सर मुसीबत का सबब होता है। यदि आप भी इस समस्या से दो-चार हुए हों तो गैजेट ट्रैक मोबाइल सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर एक काम की चीज है। दरअसल गैजेट ट्रैक जीपीएस, वाई-फाई व मोबाइल टॉवर के त्रिकोण की मदद से आपको अपनेगुम स्मार्ट फोन, फ्लैश ड्राइव, लैपटॉप आदि की लोकेशन देता है। यही नहीं गैजेट ट्रैक के जरिए आप अपने फोन का डेटा रिकवर करने या फिर अपनी जगह से बैठे- बैठे उसकी तमाम संवेदनशील जानकारियों को डिलीट भी कर सकते हैं।

3- नोट टेकिंग आईपैड एप्स

आईपैड रखने वालों के लिए ये बहुत उपयोगी एप्लीकेशन है। इसमें आप न सिर्फ कॉलेज में पढाए जा रहे लेक्चर, बोर्डपर लिखे जा रहे नोट्स आदि रिकॉर्ड कर सकते हैं बल्कि जब चाहें उसे दोहरा सकते हैं। इन एप्लीकेशंस में हैंडराइटिंग एप्स पेनल्टीटाइम आपको अपने मोबाइल पर अपनी ही हैंड राइटिंग में नोट्स बनाने, उनका पीडीएफ तैयार करने उन्हें दोस्तों से शेयर करने जैसी च्वाइसेस देता है। जबकि साउंड नोट्स एप्लीकेशन जिसमें लेक्चर का ऑडियो व आपके द्वारा बनाए गए नोट्स साथ- साथ दिखते हैं। इसके अलावा यदि आप खुद के बनाए नोट्स में कांट -छांट करना चाहते हैं तो नोट टेकर एचडी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें अलग-अलग फॉन्ट साइज में नोट्स बनाने,फोटो क्रॉप जैसे विकल्पों के जरिए अपना लर्निग मैथड को और स्मार्ट बनाने का मौका मिलता है।

4- लैपटॉप लॉक

अपने कंप्यूटर और लैपटॉप के डेटा को सेक्योर बनाने के लिए आज कईसारे ऑप्शन मौजूद हैं। लेकिन घूमने फिरने या फिर सार्वजनिक जगहों में उन्हें चोरी होने से बचाने के लिए उन पर कडी नजर रखने के अलावा और कोईउपाय नहीं हैं। लेकिन किंग्सटन का लैपटॉप लॉक सिस्टम इस तथ्य को झुठलाता नजर आ रहा है। इसमें आपको लॉक में दिए स्टील वॉयर के जरिए अपने लैपटाप को ऑफिस टेबेल में फंसा नंबर कॉम्बिनेशन की सहायता से तालाबंद करना होता है। बस फिर क्या आपका लैपटॉप सेफ। तो देर किस बात की जल्द ही दीजिए अपने लैपी को लॉक।
साभार : बिभा  स्कूल फोरम 
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