Friday 5 April 2013

Bread Pizza

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Ingredients
 
4 Bread Slices
1 Capsicum (sliced)
1 Tomato (sliced)
4 Mushrooms (sliced)
2 Onions (sliced)
1 Tbsp Butter
4 Tbsp Mozzarella 
Cheese (grated)
1 pinch Salt
1 pinch Sugar
2 Tbsp Pizza Sauce
 
Directions
 
Heat butter in a pan. Add vegetables to it and fry them until brown and soft. 
 
Add salt and sugar to the vegetables. Cook and stir till water evaporates from the veggies.
 
Take a bread slice and cover it with pizza sauce. 
 
Spread the vegetable mixture on the bread and garnish it with mozzarella cheese. 
 
Grill the bread in an oven or tawa for 3-4 minutes, or till the bread is crispy and the cheese melts. 
 
Your Bread Pizza is ready. Serve it with tomato ketchup
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Corn Bhel

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Ingredients
 
1 cup cooked sweet corn
1/2 tomato chopped finely
1/2 onion chopped finely
Salt to taste
Chaat masala to taste
Sev
Finely chopped coriander leaves
 
Mix up all the ingredients well just before serving and a healthy snack is ready.
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कहानी मुर्ग़े की

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एक दिन बाज ने कहा ‘मियां मुर्ग़े, तुम बड़े ही बेवफ़ा,बेमुरव्वत और नाशुक्रे हो। देखो आदमी किस मुहब्बत से तुम्हें पालते और दाने-पानी की ख़बर लेते हैं, फिर भी तुम्हारा हाल यह है कि मालिक पकड़ना चाहता है, तो भागे-भागे फिरते हो। ख़ुद भी थकते हो और मालिक को भी थकाते हो।’‘मुझको देखो, जंगल का पखेरू, पहाड़ का परिन्दा, हवा पर उड़ने वाला, मगर जहां दो-चार दिन रहा आदमियों में, बस उनकी ख़ौफ से वाक़िफ़ हुआ और उनका नमक खाया, फिर तो ऐसा मुतीय और फ़रमाबरदार होता हूं कि इशारों पर काम करता हूं। जब शिकार पर छोड़ते हैं, तो पंजे झाड़कर उसके पीछे पड़ता हूं। कोसों दूर निकल जाता हूं, मगर अपने आक़ा को नहीं भूलता। जरा वापसी का इशारा पाया, ख़ुशी-ख़ुशी उड़ता चला आया।
 
मुर्ग़ ने जवाब दिया, ‘मियां बाज, इसमें शक नहीं कि तुम बड़े शिकारी हो, बुलंद हिम्मत हो, चुस्तो-चालाक हो, लेकिन भाई, कुसूर माफ़, तुममें बात समझने की लियाक़त है नहीं। अगर तुम थोड़ा ग़ौर करते और मेरी और अपनी हालत का फ़र्क़ पहचानते, तो हरगिज़ बेवफ़ाई और कजअदाई का ताना मुझको न देते। मैंने सैकड़ों मुर्ग़ हलाल होते और सींक पर भुनते अपनी आंखों से देखे हैं, मगर तुमने किसी बाज को जिबाह होते या कबाब किए जाते देखा तो क्या, कभी सुना भी न होगा। इस सूरत में अगर मैं चौकन्ना रहूं और मालिक की तरफ़ से मेरे दिल में दुकुड़-पुकुड़ हो, तो मैं अक्लमंदों के नजदीक माना जाऊंगा, मलामत के क़ाबिल नहीं। और तुम अपने आक़ा पर इत्मीनान रखो, तो कुछ तारीफ़ के मुस्तहि़क नहीं हो।’
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घर पर कोई है?

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आदमी- बेटा पापा घर पर हैं?
बच्चा- अंकल पापा तो बाजार गए हैं।
आदमी- चलो बड़े भाई को बुला दे।
बच्चा- जी वो क्रिकेट खेलने गए हैं।
आदमी- बेटा मम्मी तो होंगी घर पर?
बच्चा- जी वो तो किटी पार्टी में गई हैं।
आदमी (गुस्से में)- तो बेटा तुम घर पर क्यों बैठे हो, तुम भी कहीं चले जाओ।
बच्चा- जी मैं भी तो अपने दोस्त के घर आया हुआ हूं।

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आलू तिल का सलाद - Potato Sesame Salad

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आलू और तिल का सलाद सभी को पसंद आने वाला ज़ायका है. नेपाल में आलू तिल का आचार कहे जाने वाले इस स्लाद को तिल के तेल में बनाय जाता है लेकिन ये सलाद जैतून के तेल में (आलिव आयल) और भी ज़्यादा स्वादिष्ट बनता है.

ज़रूरी सामग्री:

  • आलू - 4 मध्यम आकार के
  • नमक - 1/2 छोटी चम्मच ( स्वादानुसार)
  • हरी मिर्च - 2 (बीज हटाकर बारीक कतर लीजिये)
  • नीबू का रस - 1 छोटी चम्मच
  • अदरक - आधा इंच टुकड़ा (बारीक कटा)
  • आॉलिव आॉयल - 2 छोटे चम्मच
  • तिल - 2 छोटे चम्मच
  • हरा धनियां - 2 टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)
  • पुदीने के पत्ते - 2 टेबल स्पून

बनाने की विधि:

आलू को उबाल लें. अब इन्हें लगभग 1 घंटे के बाद ठंडा करके छील लें और टुकडों में काट लें. ठंडा करके छीलने से आलू भुरभुरे नहीं रहते और अच्छे से कटते हैं. हर आलू से 4-6 टुकडे़ कर लें.
तिल को किसी पैन या तवे पर भून कर हल्का बाउन कर लें.
अब कटे हुए आलू में भुने हुए तिल, नमक, अदरक, हरी मिर्च, नींबू क रस और ओलिव ओयल डाल कर सबको अच्छे से मिला लें.
पुदीने की पत्तियां और हरा धनिया डाल कर सजाएं. आपका आलू तिल का सलाद तैयार है. इसे प्लेट में डालकर हरी धनिया से सजाएं और सर्व करें.
कम भूख में आप आलू तिल के सलाद को स्नैक्स के रूप में भी खा सकते हैं.
Source : Bivha Hotels Pvt Limited , Nisha Mathur 
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बैगन करी - baigan masala curry

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बैंगन करी स्वाद में लाजवाब बनती है. इसे आप अपनी पसंद की किसी भी करी में बना सकते हैं. लेकिन मूंगफ़ली के दानों की करी में तैयार, बिना बीज़ वाले मैरीनेट किए हुए बैंगन का सवाद आपको बहुत पसंद आएगा.

ज़रूरी सामग्री:

  • बैगन - 500 ग्राम ( बड़े बैगन, बिना बीज वाले)

बैंगन मैरीनेट करने के लिए:

  • दही - 3 -4 टेबल स्पून
  • बेसन - 2 टेबल स्पून
  • नमक - 1/4 छोटी चम्मच
  • गरम मसाला - एक चौथाई छोटी चम्मच
  • तेल - बैगन तलने के लिये

करी बनाने के लिए:

  • टमाटर - 3-4
  • हरी मिर्च - 1 या 2
  • अदरक - 1 इंच लम्बा टुकड़ा
  • छिले मूंगफली के दाने - 2 टेबल स्पून
  • ताजा दही -  1/4 कप
  • तेल - 2 - 3 टेबल स्पून
  • हींग - 1 पिंच
  • जीरा - आधा छोटी चम्मच
  • हल्दी पाउडर - 1/4 छोटी चम्मच
  • धनियां पाउडर - 1 छोटी चम्मच
  • लाल मिर्च - एक चौथाई छोटी चम्मच से कम
  • नमक - स्वादानुसार (3/4 छोटी चम्मच)
  • गरम मसाला -   1/4  छोटी चम्मच
  • हरा धनियां - 2-3 टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)

बनाने की विधि:

बैंगन को धोकर छील लें और इन्हें पानी में डुबा कर रख दें.
अब बारी है बैंगन को मैरीनेट करने की. इसके लिए एक बाउल में फ़ैंटा हुआ दही, नमक, गरम मसाला और बेसन डाल कर इन सबको अच्छे से मिला लें. बैंगन को 1 1/2 इंच के मध्यम आकार के चौकोर टुकडों में काट लें. बैंगन के टुकडों को तैयार मसाले में मिला कर 15-20 मिनत के लिए इसी तरह रख दें.
निश्चित समय के बाद ये मैरीनेट हो जाएंगे. इन्हें तलने के लिए एक कढा़ई में तेल डाल कर गरम कर लें. गरम तेल में बैंगन के टुकडे़ एक-एक करके डालें. जितने टुकडे़ आसानी से डाल कर तले जा सकें डाल लें. इन्हें पलट-पलट कर हल्का ब्राउन होने तक तल लें और फिर एक प्लेट में निकाल कर रख लें.

तरी बनाएं:

टमाटर, हरी मिर्च और अदरक को धो लें. हरी मिर्च के डंठल हटा दें और अदरक को छील लें. अब इन तीनों को बडे़-बडे़ टुकडों में काट कर, इनके साथ मूंगफ़ली के दानों को भी मिक्सी में डाल लें और इन्हें पीस कर बारीक पेस्ट बना लें.
कढा़ई में 2-3 टेबल स्पून तेल डाल कर गरम कर लें. बिलकुल धीमी आंच पर इसमें हींग और जीरा डाल कर भून लें. इसके बाद हल्दी पाउडर और धनिया पाउडर डाल कर टमाटर-मूंगफ़ली वाला पिसा मसाला डाल लें. लाल मिर्च डाल कर इसे तेल छोड़ने तक भूनें. जब तेल मसाले के उपर तैरने लगे तो इसमें फ़ैंटी हुई दही डाल कर मिला लें. चम्मच से चलाते हुए इसे फिर से तेल छोड़ने तक भूनें. जब मसाला भुन जाए तो इसमें तले हुए बैंगन के टुकडे़ डाल कर मिला लें.
आपको जितनी गाढी़ तरी पसंद है उसके अनुसार इसमें 1 या 1 1/2 कप पानी डाल लें. नमक मिलाएं और इसमें उबाल आने तक चलाते हुए पकाएं. सब्ज़ी में गरम मसाला डाल कर मिला दें. इसे ढक कर 5-6 मिनट तक पकने दें. इतने समय में मसालों का स्वाद बैंगन में भर जाएगा. गैस बंद करके इसमें आधा हरा धनिया मिला लें. बैंगन करी तैयार है.
गरमा-गरम बैंगन करी को बाउल में निकाल कर हरा धनिया डाल कर सजाएं और चपाती, परांठे या चावल के साथ इसे खाएं.

ध्यान दें:

अगर आप इसमें प्याज़ भी डालना चाहते हैं तो इसके लिए 1-2 पयाज़ को बारीक काट लें. तेल गरम करके हींग और जीरा भूनने की बाद प्याज़ को डाल कर गुलाबी होने तक भून लें और फिर उपर बताए अनुसार ही बना लें.
उपर दी सामग्री से 50 मिनट में ये सब्ज़ी 4-5 सदस्यों के लिए तैयार हो जाएगी.
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अपने को गंभीरता से लें

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एक सूफी कहावत है कि ‘खुद को बेहतर बनाना ही, बेहतर गांव, बेहतर शहर, बेहतर देश और बेहतर दुनिया बनाने की ओर पहला कदम होता है।
आप और जो भी हों फिलहाल एक पाठक हैं और अपने को गंभीरता से ले रहे हैं — तभी तो आप यह पढ़ रहे हैं! लेकिन आप सिर्फ पाठक ही नहीं, आप विद्यार्थी, शिक्षक, सैनिक, वकील, एग्जीक्यूटिव, व्यवसायी, कर्मचारी, मां, बाप, बहन, भाई और भी बहुत कुछ हो सकते हैं। इन सभी चीजों को कैसे लेते हैं? जाहिर है, आप कहंेगे कि गंभीरता से लेते हैं। हो सकता है लेते भी हों। 
लेकिन कई बार आप एकदम मामूली और व्यक्तिगत सवालों का भी तत्काल जवाब नहीं दे पाते! कोई अगर पूछे कि खाने में सबसे ज्यादा आपको क्या पसंद है तो जवाब देने से पहले आप सोचते हैं। आपका सोचना बताता है कि आप अपनी पसंद-श्नापसंद को भी ठीक से नहीं जानते, फिर कैसे मान लिया जाए कि आप अपने को और अपनों को गंभीरता से ले रहे हैं?
मेरे ख्याल से अपने को गंभीरता से लेने का मतलब है अपनी रुचियों, अपने रिश्तों, अपनी कमियों, अपनी संभावनाओं को जानना-समझना। जो नकारात्मक है उसे कम करते जाना और जो सकारात्मक है उसे संजोते-संवारते जाना। अपने को गंभीरता से लेने का मतलब है, दूसरों को भी गंभीरता से लेना, प्रकृति को गंभीरता से लेना। अपने को व्यक्ति ही नहीं सामाजिक प्राणी समझना। यानी अपनी वैयक्तिकता और सामाजिकता को समझना। 
किसी टीवी चैनल पर एक इंटरव्यू चल रहा था। प्रश्नकर्ता ने पूछा, ‘और अंत में कोई संदेश?’ और उसने मुस्कुराते हुए कहा, ‘टेक योरसेल्फ सीरियसली’। कहने वाला ज्योफ्रे आर्थर था। 
एक बेहद लोकप्रिय लेखक। उनकी बात ‘नाविक के तीर’ की तरह दिल में उतर गई थी। कई महीने हो गए। मैं उसी वाक्य में डूबता रहा हूं — ‘ज्यों बूड़े त्यों-त्यों तरे’ वाले अंदाज में। मुझे लगा इतनी उम्र हो गई पर क्या मैं अपने को गंभीरता से ले पाया हूं? बात खुलती गई और खुलती जा रही है। सोचा आपसे साझा कर लूं। हो सकता है आपको भी मेरी तरह झकझोर दिए जाने वाला एहसास हो। 
‘मैं कौन हूं’, यह मनुष्य के आदि प्रश्नों में से एक प्रश्न है। मैं से मतलब मेरा शरीर, मेरा मन-मस्तिष्क, मेरा व्यक्तित्व, मेरा अनोखापन, मेरे रिश्ते, मेरा समाज। और फिर इस गतिमान संसार में मैं कहीं अटका तो पड़ा नहीं हूं। मेरा एक अतीत है, वर्तमान है, भविष्य है, मेरी एक दिशा है, एक राह है। इसका मतलब हुआ कि मुझे अपने को गंभीरता से लेने के लिए अपने को समग्रता में लेना होगा, एक व्यक्ति, एक ऐतिहासिक, एक सांस्कृतिक और एक सामाजिक प्राणी के रूप में। 
गंभीरता के लिए गंभीर दिखना जरूरी नहीं। हम हंसते-खेलते हुए भी गंभीर हो सकते हैं। खेल-कूद, हंसी-मजाक, सफाई और गंदगी सभी गंभीर चीजें हैं। किसी को बढ़ाना गंभीरता है और किसी घटाना या खत्म करना। 
वास्तविकता यह है कि हम जो भी ‘अच्छा/सही’ करते हैं उसका श्रेय लेना चाहते हैं और जो भी ‘बुरा/गलत’ करते हैं, उसके लिए दूसरों को, जमाने को, किस्मत को दोष देते हैं। गंभीरता से लेने का मतलब है — अपने गुण-दोष, सही-गलत के लिए पहले अपने को फिर वंश-परंपरा, पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा, मित्र-शत्रु और सरकार-व्यवस्था को दोष देना। जो कारण बाहर हैं, उनके संबंध में कुछ कर पाना केवल हमारे हाथ में नहीं। पर जो अंदर के कारण अगर उन्हंे जान-समझ लें तो आप सीमाओं को घटाने और संभावनाओं को बढ़ाने में लग सकते हैं, और तत्काल। व्यवस्था-परिवर्तन में तो वक्त लगता ही है, पर अपना परिवर्तन तो तत्काल शुरू हो सकता है। 
यह क्रांतिकारी उपक्रम शुरू कैसे हो? यह भी सीधी बात है। पहले तो यही देखें कि यह ‘अपना’ जिसे गंभीरता से लेना है वह है क्या? शरीर और मन-मस्तिष्क। इन्हें तो गंभीरता से लेना ही पड़ेगा, क्योंकि ‘शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्’ और स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन-मस्तिष्क। हम शरीर को तो थोड़ा गंभीरता से ले भी लेते हैं पर मन-मस्तिष्क को तो मानो भगवान-भरोसे ही छोड़े रहते हैं, जबकि उनका भी भौतिक आधार है और उन्हें भी पोसा-संवारा जा सकता है।
फिर सवाल उठता है अपने विविध रूपों का, रिश्तों का, हैसियतांे का। हमारे एक साथ कई रूप होते हैं। अक्सर एक को गंभीरता से लेने पर दूसरा नजरअंदाज होता दिखता है। जैसे कोई अपने पति रूप को गंभीरता से ले तो पुत्र-रूप नजरअंदाज हो सकता है, व्यक्तिगत सफलता को गंभीरता से लें तो सामाजिक रूप हाशिए पर जा सकता है।
ऐसा इसलिए होता है कि हम चीजों को समग्रता में नहीं ले पाते। हम अपने अपनत्व को संकीर्ण बनाते चले जाते हैं। अपनापन सिकुड़ता जाता है तो अपने पराए होते जाते हैं। अंतत: हम स्वयं भी पराएपन के शिकार होते जाते हैं। अजनबियत का विस्तार और इंसानियत का क्षरण होता चला जाता है। हम एक बार इतिहास और अपने चारांे ओर नजर दौड़ाकर तो देखें, हमें अनेक ऐसे लोग नजर आएंगे जिन्होंने अपने को गंभीरता से लिया और असंभव को संभव कर दिखाया, जैसे हेलेन केलर, गांधीजी, हाकिंग। हम सबके आसपास ऐसे बहुत से लोग दिखेंगे जिन्होंने अपने को गंभीरता से नहीं लिया, जैसे असाधारण साहित्यकार भुवनेश्वर। इस तरह वह गुमनामी में खो गए और समाज को एक अनोखी प्रतिभा से वंचित कर दिया। ऐसे भी लोग हैं और हुए हैं, जिनका अपने को गंभीरता से लेने का मुद्दा विवादास्पद हो सकता है जैसे रूसो और बोहे मियंस। 
यदि एक बार हम ठीक से आत्मसात् कर लें कि हमारे नितांत वैयक्तिक में भी सामाजिकता निहित है और नितांत सामाजिक में भी वैयक्तिक निहित है तो बात आसान हो सकती है। बहुत छोटा-सा उदाहरण देखें — सुबह ब्रश करना तो एक व्यक्तिगत काम है पर क्या इसका भी एक सामाजिक पहलू नहीं है? क्या अगर हमारे दांत गंदे रहते हैं और हमंे पायरिया हो जाता है तो इससे समाज प्रभावित नहीं होगा? इसी तरह समाज-सेवा या सामाजिक परिवर्तन का भी यह व्यक्तिगत पहलू नहीं है कि वांछित परिवर्तन हमारे अंदर भी आए — हमारा आचरण व्यवहार भी बदले? 
हम व्यक्तिवादी हों या समाजवादी, आस्तिक हों या नास्तिक, युवा हों या बुजुर्ग, अपने को गंभीरता से लेना हमारी विश्व-दृष्टि और विचारधारा का अभिन्न अंग होना चाहिए। इसके हर हाल में सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। 
किसी बदलाव का कुछ तयशुदा नुस्खा नहीं, लेकिन बदल पाता है जो खुद को वही सबको बदलता है।
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