Friday 5 April 2013

Paramedical education in Bivha Medical College

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School of Paramedical Sciences

The continuous expansion of the health care industry brings with it a growing demand for trained paramedical professionals. In order to cater to this demand to whatever extent possible, Bivha Medical College  has recently entered the field of paramedical education with the introduction of diploma courses in subjects such as Medical Laboratory Technology, Electrocardiogram Technology, Medical Radiographic (x-ray) Technology, Operation Theatre Technology and Biomedical instrumentation.
A Paramedic is a professional who helps the doctors in specialized areas and facilitates for better diagnosis, treatment and therapy. The increase in number of patients, variety of diseases & the demand for immense treatment have paved the way for Paramedical Professionals who are expert technicians or therapists providing better quality to human health care.
Paramedics are the key players in the Health & Medical Sector. Without paramedics, the entire Health Industry is out of gear and is almost non-functionary. If there are no Paramedics, there is neither money nor any profit for doctors, hospitals, private clinics, etc. (In general the entire health sector).
Our courses are approved by Govt. of India HRD (Department of Science and Technology), recognized By AICTE (All India Council for Technical Education) and Affiliated to State Board of Technical Education. We offer regular mode of teaching and supplemented by an intensive and rigorous practical training that equips the students with knowledge of the latest techniques and trends so that on completion they can emerge as fully trained and confident professionals.


Programme fee per Annum
Sl.No    Particulars    1st Year    2nd Year    3rd Year
1    Admission fee    5,000/-        
2    Tuition Fee    22,200/-    15,200/-    22,200/-
3    Clinical Fee    3,000/-    3,000/-    3,000/-
4    Library Fee    1200/-    1200/-    1200/-
5    Development Fee    3000/-    3000/-    3000/-
6    BSA(BIS Student Association)      700/-      700/-      700/-
     


Diploma Level Courses     Degree Level Courses
COURSES OFFERED     1.    Medical Lab Technology,
2.    ECG-EEG Technology,
3.    X Ray / CT Technology,
4.    Operation Theater,
5.    Bio Medical Instrumentation.    Medical Lab Technology,
 

  • Radiology Imaging Services.
  • Medical Instrumentation, 
  • Bio Medical Instrumentation, 
  • Dental Technology, 
  • Operation Theater, 
  • Physiotherapy.

Recognized By     AICTE (All India Council of Technical Education) New Delhi.     L P U 
 

Approved By     Science and Technology & Health Department Govt. of India    I G  N OU
 

Duration of Courses     2 years     3 Years
 

Affiliated to     SMU (Manipal)/KSOU/IGNOU   
 

Medium of Instruction     English/Hindi     English
 

Eligibility     10th     Intermediate / 10+2 (Science) 
 

Selection Procedure     Entrance Exam / BIS Combined Test Direct admission for  BIS Students    Entrance Exam / Direct admission for  BIS Students





Education Loan also available from PNB & Bivha Finance Corporation 
 
 For details Please contact : +91 800-2585971 , 08986054337
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शरीर को करें अंदर से साफ

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मौजूदा जीवन शैली के खान-पान, रहन-सहन और कामकाजी तनाव की वजह से शरीर को कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसकी जड़ में कई किस्म के जहरीले तत्व (टॉक्सिंस) मौजूद रहते हैं, जिनसे निजात पाना जरूरी है। शरीर और मन को नई ऊर्जा देने के लिए जरूरी डिटॉक्सिफिकेशन के कारगर तरीकों पर सुधीर गोरे की रिपोर्ट
नवंबर की दीवाली, दिसंबर में नए साल का जश्न, जनवरी में जन्मदिन और फरवरी में दोस्त की शादी जैसे यादगार मौके का मजा अच्छी दावत के बिना अधूरा है। मौज-मस्ती के ये ऐसे मौके हैं, जब खाने-पाने पर रोक-टोक बेअसर रहती है। इन दावतों में सेहत को चुनौती देने वाले आहार भी शामिल रहते हैं। साथ ही बढ़ते प्रदूषण और तनाव की वजह से हमारे शरीर में कई ऐसे तत्व बनते हैं, जो टॉक्सिंस यानी जहर का काम करते हैं। ये जहरीले पदार्थ हमारे लिवर में जमा हो जाते हैं, तो त्वचा को बेजान कर देते हैं, नींद पूरी नहीं होने देते और हर समय थकान लगती है। इनसे कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इस धीमे जहर से छुटकारा पाना बेहद जरूरी है, जो दबे पांव शरीर में दाखिल होता है। इस जहर को काटने की प्रक्रिया डिटॉक्सिफिकेशन के जरिए इन सब टॉक्सिंस को शरीर से बाहर निकाला जा सकता है। 
क्या है डिटॉक्सिफिकेशन?
आसान शब्दों में कहा जाए, तो यह शरीर को उन तत्वों से निजात दिलाता, जो हमें नुकसान पहुंचाते हैं। क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. इशी खोसला के मुताबिक, ‘शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से निजात दिलाने के लिए इलाज की अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं डिटॉक्सिफिकेशन या डिटॉक्स। इनमें भरपूर पानी और जूस पीना, सलाद और पाचक पदार्थ खाने के अलावा उपवास रखना, एनीमा के जरिए पेट की सफाई या मलावरोध दूर करने के उपाय शामिल हैं।’ डिटॉक्स शरीर और दिमाग को स्वस्थ और तरोताजा रखने की प्रक्रिया है। इससे मानसिक तनाव और दूसरे विकार दूर भागते हैं और नई ऊर्जा का संचार होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक लगातार थकान, अपच, कब्ज, मोटापा, बार-बार जुकाम और बुखार, तनाव, अक्सर सरदर्द, नींद न आना या जरूरत से ज्यादा सोना, जोड़ों में दर्द, निराशा, अवसाद और सेक्स के प्रति अनिच्छा आदि शरीर में टाक्सिंस बढ़ने के लक्षण हैं। इन हालात में डिटॉक्स जरूरी हो जाता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन के कई तरीके हैं और कोई भी डिटॉक्स प्रोग्राम शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूरी है। 
कैसे करें डिटॉक्स?
 शरीर को डिटॉक्स करने के कई तरीके और उत्पाद बाजार में आए और कुछ पर सवाल भी उठे हैं, लेकिन नई रिसर्च के मुताबिक आधुनिक चिकित्सा के साथ ही परंपरागत सेहतमंद आहार भी दवा का काम करता है। डॉ. खोसला के मुताबिक, कुछ दिनों की स्पेशल डिटॉक्स डाइट लेना या उपवास के रूप में अनियमित रूप से भूखे रहना डिटॉक्स का कारगर उपाय नहीं है। हेल्दी डाइट और योग सहित नियमित फिजिकल एक्सरसाइज जरूरी है। डॉ. खोसला के मुताबिक इसके पांच सबसे अच्छे तरीके हैं:
1. खान-पान में सब्जियां, फल, मेवे और बीज (अलसी, सूरजमुखी आदि)
2. तरल पदार्थो का सेवन करें
3. चीनी, प्रोसेस्ड और तली हुई 
चीजें कम खाएं 
4. शराब कम पिएं 
5. सिगरेट से दूरी बनाएं
व्रत रखिए, डिटॉक्स कीजिए
अगर पेट को कुछ आराम मिले तो शरीर की ऊर्जा लौटती है। यही वजह है कि व्रत से डिटॉक्सिफिकेशन की परंपरा रही है। आधुनिक मेडिकल साइंस ने भी इसकी अहमियत को माना है। हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुड़ी न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. रशेल हिंड के मुताबिक, ‘व्रत से आप शरीर को एक अहम बदलाव का संकेत देते हैं। इसके बाद सेहतमंद भोजन आपके शरीर पर तेजी से अच्छा असर डालता है।’ आम लोग संतुलित आहार के साथ उपवास करें तो बेहतर है। उनके मुताबिक शुरुआत में ही पूरी तरह भूखा रहना जरूरी नहीं है। इसके पांच विकल्प हैं: (1) दिन भर सिर्फ फल, सब्जियां, मेवे और सीड्स खाना, (2) दिन में एक बार भोजन करना जिसमें सिर्फ फल और चावल से बनी चीजें शामिल होंे, (3) दिन भर सब्जियों के सूप या जूस पीना, (4) एक बार खिचड़ी या सलाद का सेवन और (5) दिन की शुरुआत में नाश्ते से पहले 16 घंटे भूखे रहना।
आयुर्वेदिक और यूनानी डिटॉक्स
आयुर्वेद हमेशा से डिटॉक्स पर जोर देता रहा है। इसलिए आयुर्वेद और नेचुरोपैथी के कई सेंटर इन दिनों डिटॉक्स पैकेज पेश कर रहे हैं। आयुर्वेदिक डिटॉक्स में डिटॉक्स फुट स्पा और बाथ भी शामिल हैं। केरल की मशहूर पंचकर्म पद्धति भी डिटॉक्स का ही एक रूप है। आयुर्वेदिक डिटॉक्स में विशेष तेलों से मसाज,  स्टीम बाथ, औषधीय तेल को सिर पर गिराकर तनाव कम करना, एनीमा से पेट साफ करवाना, नस्यम के अंतर्गत नाक में दवा डालना और औषधि वाले द्रव से गरारे करना शामिल है। यूनानी चिकित्सा पद्घति के मुताबिक, शरीर को नुकसान देने वाले टॉक्सिंस से बचाना और लिवर को दुरुस्त करना डिटॉक्सिफिकेशन  है। 
नींद बड़ी जरूरी 
शहरी जीवनशैली का तनाव, दफ्तर में लगातार काम का दबाव या देर रात टीवी देखने की आदत की वजह से थकान खत्म होने का नाम ही नहीं लेती। देर रात की बजाय जल्दी सो जाएं, तो यह शरीर के लिए बेहतर होगा। 7-8 घंटे की नींद शरीर से थकान और दर्द दूर कर देती है। सोते समय कमरे का तापमान संतुलित रहना चाहिए। 
पसीना बहाओ, मसाज कराओ 
पसीने से टॉक्सिंस निकल जाते हैं और शरीर में ऑक्सीजन की ज्यादा खपत होती है। जरूरत और क्षमता के मुताबिक आप जॉगिंग, तेजी से चलना या एरोबिक्स कर सकते हैं। योग करने वाले कपालभाति, योग मुद्रा, पवनमुक्तासन और मेडिटेशन कर सकते हैं। डेस्क जॉब करने वाले या कंप्यूटर पर काम करने वाले लोगों का शरीर लंबे समय तक एक ही मुद्रा में रहता है, ऐसे में मसाज और इसके बाद गरम पानी से नहाना फायदेमंद है। मसाज के लिए तेल का चुनाव अपनी त्वचा और शरीर की प्रकृति के हिसाब से करना चाहिए, तभी सही रहता है। 
सावधानी भी बरतें
जो लोग बीमार हैं उन्हें डॉक्टर की देखरेख में ही डिटॉक्स डाइट या प्रोग्राम अपनाना चाहिए। अगर यह घरेलू नुस्खों पर आधारित हो तो भी इसके साथ चलने-फिरने, रस्सी कूदने, तैरने जैसी वर्जिश की भी सलाह दी जाती है। कई डिटॉक्स प्रोग्राम और प्रोडक्ट चलन में हैं और इन्हें अपनाते वक्त लिवर को कोई नुकसान न हो, इसका खास ध्यान रखें। लिवर डिटॉक्स के लिए शराब, तले पदार्थ, चीनी, रिफाइंड काबरेहाइड्रेट्स, प्रोसेस्ड फूड आदि से परहेज करना चाहिए। ज्यादा पानी पीना और हरी सब्जियां खाना अच्छा है।

<div class="message_box note">किसी की देखरेख में ही डिटॉक्स डाइट या 
प्रोग्राम अपनाना चाहिए </div>
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Bread Pizza

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Ingredients
 
4 Bread Slices
1 Capsicum (sliced)
1 Tomato (sliced)
4 Mushrooms (sliced)
2 Onions (sliced)
1 Tbsp Butter
4 Tbsp Mozzarella 
Cheese (grated)
1 pinch Salt
1 pinch Sugar
2 Tbsp Pizza Sauce
 
Directions
 
Heat butter in a pan. Add vegetables to it and fry them until brown and soft. 
 
Add salt and sugar to the vegetables. Cook and stir till water evaporates from the veggies.
 
Take a bread slice and cover it with pizza sauce. 
 
Spread the vegetable mixture on the bread and garnish it with mozzarella cheese. 
 
Grill the bread in an oven or tawa for 3-4 minutes, or till the bread is crispy and the cheese melts. 
 
Your Bread Pizza is ready. Serve it with tomato ketchup
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Corn Bhel

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Ingredients
 
1 cup cooked sweet corn
1/2 tomato chopped finely
1/2 onion chopped finely
Salt to taste
Chaat masala to taste
Sev
Finely chopped coriander leaves
 
Mix up all the ingredients well just before serving and a healthy snack is ready.
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कहानी मुर्ग़े की

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एक दिन बाज ने कहा ‘मियां मुर्ग़े, तुम बड़े ही बेवफ़ा,बेमुरव्वत और नाशुक्रे हो। देखो आदमी किस मुहब्बत से तुम्हें पालते और दाने-पानी की ख़बर लेते हैं, फिर भी तुम्हारा हाल यह है कि मालिक पकड़ना चाहता है, तो भागे-भागे फिरते हो। ख़ुद भी थकते हो और मालिक को भी थकाते हो।’‘मुझको देखो, जंगल का पखेरू, पहाड़ का परिन्दा, हवा पर उड़ने वाला, मगर जहां दो-चार दिन रहा आदमियों में, बस उनकी ख़ौफ से वाक़िफ़ हुआ और उनका नमक खाया, फिर तो ऐसा मुतीय और फ़रमाबरदार होता हूं कि इशारों पर काम करता हूं। जब शिकार पर छोड़ते हैं, तो पंजे झाड़कर उसके पीछे पड़ता हूं। कोसों दूर निकल जाता हूं, मगर अपने आक़ा को नहीं भूलता। जरा वापसी का इशारा पाया, ख़ुशी-ख़ुशी उड़ता चला आया।
 
मुर्ग़ ने जवाब दिया, ‘मियां बाज, इसमें शक नहीं कि तुम बड़े शिकारी हो, बुलंद हिम्मत हो, चुस्तो-चालाक हो, लेकिन भाई, कुसूर माफ़, तुममें बात समझने की लियाक़त है नहीं। अगर तुम थोड़ा ग़ौर करते और मेरी और अपनी हालत का फ़र्क़ पहचानते, तो हरगिज़ बेवफ़ाई और कजअदाई का ताना मुझको न देते। मैंने सैकड़ों मुर्ग़ हलाल होते और सींक पर भुनते अपनी आंखों से देखे हैं, मगर तुमने किसी बाज को जिबाह होते या कबाब किए जाते देखा तो क्या, कभी सुना भी न होगा। इस सूरत में अगर मैं चौकन्ना रहूं और मालिक की तरफ़ से मेरे दिल में दुकुड़-पुकुड़ हो, तो मैं अक्लमंदों के नजदीक माना जाऊंगा, मलामत के क़ाबिल नहीं। और तुम अपने आक़ा पर इत्मीनान रखो, तो कुछ तारीफ़ के मुस्तहि़क नहीं हो।’
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घर पर कोई है?

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आदमी- बेटा पापा घर पर हैं?
बच्चा- अंकल पापा तो बाजार गए हैं।
आदमी- चलो बड़े भाई को बुला दे।
बच्चा- जी वो क्रिकेट खेलने गए हैं।
आदमी- बेटा मम्मी तो होंगी घर पर?
बच्चा- जी वो तो किटी पार्टी में गई हैं।
आदमी (गुस्से में)- तो बेटा तुम घर पर क्यों बैठे हो, तुम भी कहीं चले जाओ।
बच्चा- जी मैं भी तो अपने दोस्त के घर आया हुआ हूं।

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आलू तिल का सलाद - Potato Sesame Salad

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आलू और तिल का सलाद सभी को पसंद आने वाला ज़ायका है. नेपाल में आलू तिल का आचार कहे जाने वाले इस स्लाद को तिल के तेल में बनाय जाता है लेकिन ये सलाद जैतून के तेल में (आलिव आयल) और भी ज़्यादा स्वादिष्ट बनता है.

ज़रूरी सामग्री:

  • आलू - 4 मध्यम आकार के
  • नमक - 1/2 छोटी चम्मच ( स्वादानुसार)
  • हरी मिर्च - 2 (बीज हटाकर बारीक कतर लीजिये)
  • नीबू का रस - 1 छोटी चम्मच
  • अदरक - आधा इंच टुकड़ा (बारीक कटा)
  • आॉलिव आॉयल - 2 छोटे चम्मच
  • तिल - 2 छोटे चम्मच
  • हरा धनियां - 2 टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)
  • पुदीने के पत्ते - 2 टेबल स्पून

बनाने की विधि:

आलू को उबाल लें. अब इन्हें लगभग 1 घंटे के बाद ठंडा करके छील लें और टुकडों में काट लें. ठंडा करके छीलने से आलू भुरभुरे नहीं रहते और अच्छे से कटते हैं. हर आलू से 4-6 टुकडे़ कर लें.
तिल को किसी पैन या तवे पर भून कर हल्का बाउन कर लें.
अब कटे हुए आलू में भुने हुए तिल, नमक, अदरक, हरी मिर्च, नींबू क रस और ओलिव ओयल डाल कर सबको अच्छे से मिला लें.
पुदीने की पत्तियां और हरा धनिया डाल कर सजाएं. आपका आलू तिल का सलाद तैयार है. इसे प्लेट में डालकर हरी धनिया से सजाएं और सर्व करें.
कम भूख में आप आलू तिल के सलाद को स्नैक्स के रूप में भी खा सकते हैं.
Source : Bivha Hotels Pvt Limited , Nisha Mathur 
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बैगन करी - baigan masala curry

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बैंगन करी स्वाद में लाजवाब बनती है. इसे आप अपनी पसंद की किसी भी करी में बना सकते हैं. लेकिन मूंगफ़ली के दानों की करी में तैयार, बिना बीज़ वाले मैरीनेट किए हुए बैंगन का सवाद आपको बहुत पसंद आएगा.

ज़रूरी सामग्री:

  • बैगन - 500 ग्राम ( बड़े बैगन, बिना बीज वाले)

बैंगन मैरीनेट करने के लिए:

  • दही - 3 -4 टेबल स्पून
  • बेसन - 2 टेबल स्पून
  • नमक - 1/4 छोटी चम्मच
  • गरम मसाला - एक चौथाई छोटी चम्मच
  • तेल - बैगन तलने के लिये

करी बनाने के लिए:

  • टमाटर - 3-4
  • हरी मिर्च - 1 या 2
  • अदरक - 1 इंच लम्बा टुकड़ा
  • छिले मूंगफली के दाने - 2 टेबल स्पून
  • ताजा दही -  1/4 कप
  • तेल - 2 - 3 टेबल स्पून
  • हींग - 1 पिंच
  • जीरा - आधा छोटी चम्मच
  • हल्दी पाउडर - 1/4 छोटी चम्मच
  • धनियां पाउडर - 1 छोटी चम्मच
  • लाल मिर्च - एक चौथाई छोटी चम्मच से कम
  • नमक - स्वादानुसार (3/4 छोटी चम्मच)
  • गरम मसाला -   1/4  छोटी चम्मच
  • हरा धनियां - 2-3 टेबल स्पून (बारीक कतरा हुआ)

बनाने की विधि:

बैंगन को धोकर छील लें और इन्हें पानी में डुबा कर रख दें.
अब बारी है बैंगन को मैरीनेट करने की. इसके लिए एक बाउल में फ़ैंटा हुआ दही, नमक, गरम मसाला और बेसन डाल कर इन सबको अच्छे से मिला लें. बैंगन को 1 1/2 इंच के मध्यम आकार के चौकोर टुकडों में काट लें. बैंगन के टुकडों को तैयार मसाले में मिला कर 15-20 मिनत के लिए इसी तरह रख दें.
निश्चित समय के बाद ये मैरीनेट हो जाएंगे. इन्हें तलने के लिए एक कढा़ई में तेल डाल कर गरम कर लें. गरम तेल में बैंगन के टुकडे़ एक-एक करके डालें. जितने टुकडे़ आसानी से डाल कर तले जा सकें डाल लें. इन्हें पलट-पलट कर हल्का ब्राउन होने तक तल लें और फिर एक प्लेट में निकाल कर रख लें.

तरी बनाएं:

टमाटर, हरी मिर्च और अदरक को धो लें. हरी मिर्च के डंठल हटा दें और अदरक को छील लें. अब इन तीनों को बडे़-बडे़ टुकडों में काट कर, इनके साथ मूंगफ़ली के दानों को भी मिक्सी में डाल लें और इन्हें पीस कर बारीक पेस्ट बना लें.
कढा़ई में 2-3 टेबल स्पून तेल डाल कर गरम कर लें. बिलकुल धीमी आंच पर इसमें हींग और जीरा डाल कर भून लें. इसके बाद हल्दी पाउडर और धनिया पाउडर डाल कर टमाटर-मूंगफ़ली वाला पिसा मसाला डाल लें. लाल मिर्च डाल कर इसे तेल छोड़ने तक भूनें. जब तेल मसाले के उपर तैरने लगे तो इसमें फ़ैंटी हुई दही डाल कर मिला लें. चम्मच से चलाते हुए इसे फिर से तेल छोड़ने तक भूनें. जब मसाला भुन जाए तो इसमें तले हुए बैंगन के टुकडे़ डाल कर मिला लें.
आपको जितनी गाढी़ तरी पसंद है उसके अनुसार इसमें 1 या 1 1/2 कप पानी डाल लें. नमक मिलाएं और इसमें उबाल आने तक चलाते हुए पकाएं. सब्ज़ी में गरम मसाला डाल कर मिला दें. इसे ढक कर 5-6 मिनट तक पकने दें. इतने समय में मसालों का स्वाद बैंगन में भर जाएगा. गैस बंद करके इसमें आधा हरा धनिया मिला लें. बैंगन करी तैयार है.
गरमा-गरम बैंगन करी को बाउल में निकाल कर हरा धनिया डाल कर सजाएं और चपाती, परांठे या चावल के साथ इसे खाएं.

ध्यान दें:

अगर आप इसमें प्याज़ भी डालना चाहते हैं तो इसके लिए 1-2 पयाज़ को बारीक काट लें. तेल गरम करके हींग और जीरा भूनने की बाद प्याज़ को डाल कर गुलाबी होने तक भून लें और फिर उपर बताए अनुसार ही बना लें.
उपर दी सामग्री से 50 मिनट में ये सब्ज़ी 4-5 सदस्यों के लिए तैयार हो जाएगी.
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अपने को गंभीरता से लें

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एक सूफी कहावत है कि ‘खुद को बेहतर बनाना ही, बेहतर गांव, बेहतर शहर, बेहतर देश और बेहतर दुनिया बनाने की ओर पहला कदम होता है।
आप और जो भी हों फिलहाल एक पाठक हैं और अपने को गंभीरता से ले रहे हैं — तभी तो आप यह पढ़ रहे हैं! लेकिन आप सिर्फ पाठक ही नहीं, आप विद्यार्थी, शिक्षक, सैनिक, वकील, एग्जीक्यूटिव, व्यवसायी, कर्मचारी, मां, बाप, बहन, भाई और भी बहुत कुछ हो सकते हैं। इन सभी चीजों को कैसे लेते हैं? जाहिर है, आप कहंेगे कि गंभीरता से लेते हैं। हो सकता है लेते भी हों। 
लेकिन कई बार आप एकदम मामूली और व्यक्तिगत सवालों का भी तत्काल जवाब नहीं दे पाते! कोई अगर पूछे कि खाने में सबसे ज्यादा आपको क्या पसंद है तो जवाब देने से पहले आप सोचते हैं। आपका सोचना बताता है कि आप अपनी पसंद-श्नापसंद को भी ठीक से नहीं जानते, फिर कैसे मान लिया जाए कि आप अपने को और अपनों को गंभीरता से ले रहे हैं?
मेरे ख्याल से अपने को गंभीरता से लेने का मतलब है अपनी रुचियों, अपने रिश्तों, अपनी कमियों, अपनी संभावनाओं को जानना-समझना। जो नकारात्मक है उसे कम करते जाना और जो सकारात्मक है उसे संजोते-संवारते जाना। अपने को गंभीरता से लेने का मतलब है, दूसरों को भी गंभीरता से लेना, प्रकृति को गंभीरता से लेना। अपने को व्यक्ति ही नहीं सामाजिक प्राणी समझना। यानी अपनी वैयक्तिकता और सामाजिकता को समझना। 
किसी टीवी चैनल पर एक इंटरव्यू चल रहा था। प्रश्नकर्ता ने पूछा, ‘और अंत में कोई संदेश?’ और उसने मुस्कुराते हुए कहा, ‘टेक योरसेल्फ सीरियसली’। कहने वाला ज्योफ्रे आर्थर था। 
एक बेहद लोकप्रिय लेखक। उनकी बात ‘नाविक के तीर’ की तरह दिल में उतर गई थी। कई महीने हो गए। मैं उसी वाक्य में डूबता रहा हूं — ‘ज्यों बूड़े त्यों-त्यों तरे’ वाले अंदाज में। मुझे लगा इतनी उम्र हो गई पर क्या मैं अपने को गंभीरता से ले पाया हूं? बात खुलती गई और खुलती जा रही है। सोचा आपसे साझा कर लूं। हो सकता है आपको भी मेरी तरह झकझोर दिए जाने वाला एहसास हो। 
‘मैं कौन हूं’, यह मनुष्य के आदि प्रश्नों में से एक प्रश्न है। मैं से मतलब मेरा शरीर, मेरा मन-मस्तिष्क, मेरा व्यक्तित्व, मेरा अनोखापन, मेरे रिश्ते, मेरा समाज। और फिर इस गतिमान संसार में मैं कहीं अटका तो पड़ा नहीं हूं। मेरा एक अतीत है, वर्तमान है, भविष्य है, मेरी एक दिशा है, एक राह है। इसका मतलब हुआ कि मुझे अपने को गंभीरता से लेने के लिए अपने को समग्रता में लेना होगा, एक व्यक्ति, एक ऐतिहासिक, एक सांस्कृतिक और एक सामाजिक प्राणी के रूप में। 
गंभीरता के लिए गंभीर दिखना जरूरी नहीं। हम हंसते-खेलते हुए भी गंभीर हो सकते हैं। खेल-कूद, हंसी-मजाक, सफाई और गंदगी सभी गंभीर चीजें हैं। किसी को बढ़ाना गंभीरता है और किसी घटाना या खत्म करना। 
वास्तविकता यह है कि हम जो भी ‘अच्छा/सही’ करते हैं उसका श्रेय लेना चाहते हैं और जो भी ‘बुरा/गलत’ करते हैं, उसके लिए दूसरों को, जमाने को, किस्मत को दोष देते हैं। गंभीरता से लेने का मतलब है — अपने गुण-दोष, सही-गलत के लिए पहले अपने को फिर वंश-परंपरा, पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा, मित्र-शत्रु और सरकार-व्यवस्था को दोष देना। जो कारण बाहर हैं, उनके संबंध में कुछ कर पाना केवल हमारे हाथ में नहीं। पर जो अंदर के कारण अगर उन्हंे जान-समझ लें तो आप सीमाओं को घटाने और संभावनाओं को बढ़ाने में लग सकते हैं, और तत्काल। व्यवस्था-परिवर्तन में तो वक्त लगता ही है, पर अपना परिवर्तन तो तत्काल शुरू हो सकता है। 
यह क्रांतिकारी उपक्रम शुरू कैसे हो? यह भी सीधी बात है। पहले तो यही देखें कि यह ‘अपना’ जिसे गंभीरता से लेना है वह है क्या? शरीर और मन-मस्तिष्क। इन्हें तो गंभीरता से लेना ही पड़ेगा, क्योंकि ‘शरीरमाद्यम् खलु धर्म साधनम्’ और स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन-मस्तिष्क। हम शरीर को तो थोड़ा गंभीरता से ले भी लेते हैं पर मन-मस्तिष्क को तो मानो भगवान-भरोसे ही छोड़े रहते हैं, जबकि उनका भी भौतिक आधार है और उन्हें भी पोसा-संवारा जा सकता है।
फिर सवाल उठता है अपने विविध रूपों का, रिश्तों का, हैसियतांे का। हमारे एक साथ कई रूप होते हैं। अक्सर एक को गंभीरता से लेने पर दूसरा नजरअंदाज होता दिखता है। जैसे कोई अपने पति रूप को गंभीरता से ले तो पुत्र-रूप नजरअंदाज हो सकता है, व्यक्तिगत सफलता को गंभीरता से लें तो सामाजिक रूप हाशिए पर जा सकता है।
ऐसा इसलिए होता है कि हम चीजों को समग्रता में नहीं ले पाते। हम अपने अपनत्व को संकीर्ण बनाते चले जाते हैं। अपनापन सिकुड़ता जाता है तो अपने पराए होते जाते हैं। अंतत: हम स्वयं भी पराएपन के शिकार होते जाते हैं। अजनबियत का विस्तार और इंसानियत का क्षरण होता चला जाता है। हम एक बार इतिहास और अपने चारांे ओर नजर दौड़ाकर तो देखें, हमें अनेक ऐसे लोग नजर आएंगे जिन्होंने अपने को गंभीरता से लिया और असंभव को संभव कर दिखाया, जैसे हेलेन केलर, गांधीजी, हाकिंग। हम सबके आसपास ऐसे बहुत से लोग दिखेंगे जिन्होंने अपने को गंभीरता से नहीं लिया, जैसे असाधारण साहित्यकार भुवनेश्वर। इस तरह वह गुमनामी में खो गए और समाज को एक अनोखी प्रतिभा से वंचित कर दिया। ऐसे भी लोग हैं और हुए हैं, जिनका अपने को गंभीरता से लेने का मुद्दा विवादास्पद हो सकता है जैसे रूसो और बोहे मियंस। 
यदि एक बार हम ठीक से आत्मसात् कर लें कि हमारे नितांत वैयक्तिक में भी सामाजिकता निहित है और नितांत सामाजिक में भी वैयक्तिक निहित है तो बात आसान हो सकती है। बहुत छोटा-सा उदाहरण देखें — सुबह ब्रश करना तो एक व्यक्तिगत काम है पर क्या इसका भी एक सामाजिक पहलू नहीं है? क्या अगर हमारे दांत गंदे रहते हैं और हमंे पायरिया हो जाता है तो इससे समाज प्रभावित नहीं होगा? इसी तरह समाज-सेवा या सामाजिक परिवर्तन का भी यह व्यक्तिगत पहलू नहीं है कि वांछित परिवर्तन हमारे अंदर भी आए — हमारा आचरण व्यवहार भी बदले? 
हम व्यक्तिवादी हों या समाजवादी, आस्तिक हों या नास्तिक, युवा हों या बुजुर्ग, अपने को गंभीरता से लेना हमारी विश्व-दृष्टि और विचारधारा का अभिन्न अंग होना चाहिए। इसके हर हाल में सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। 
किसी बदलाव का कुछ तयशुदा नुस्खा नहीं, लेकिन बदल पाता है जो खुद को वही सबको बदलता है।
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होली है

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होली में भंग की गोली चखो, औ रंग की भर - भर दे पिचकारी.
मत मान बुरा - मत सोच ज़रा, खुश कौन हुआ कौन देवे है गारी.
बुढा - जवान में भेद दिखे नहीं , फाग के रंग में सब रंग जावे.
मुँह में दाँत - न पेट में आँत, पर फाग के राग में सब रम जावे.
ढोल - मजीरा के ताल पे थिरके, अस्सी बरीस के दे - दे के तारी.
होली में भंग की गोली चखो, औ रंग की भर - भर दे पिचकारी.
नारि नवेली से जाकर पूछो, का होव...त फगुनी अंगड़ाई.
होली के रंग में भंग पड़े, जब संग नहीं साजन हरजाई.
पुआ भी रोटी सरीखा लगे, और होली की गीत लगे जस गारी.
होली में भंग की गोली चखो, औ रंग की भर - भर दे पिचकारी.
. .... सतीश मापतपुरी
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ऐसा लोग कहते हैं

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ऐसा लोग कहते हैं मै उसके प्यार में पागल हूँ ऐसा लोग कहते हैं
मै उसकी आँख से घायल हूँ ऐसा लोग कहते है
वो कहता है मेरे चर्चे उसे बदनाम कर देंगे
मगर मै तो नहीं कहता हू ऐसा लोग कहते है
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जय - जय बिहार की भूमि, तुम्हें शत नमन हमारा

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(22 मार्च को बिहार दिवस के रूप में मनाया जाता है . इस अवसर पर अनेक कार्यक्रम का आयोजन 22 से 24 मार्च को आयोजित किया जां रहा है . बिहार दिवस की हार्दिक शुभकामनाये )

बिहार

जय - जय बिहार की भूमि, तुम्हें शत नमन हमारा.
तेरी महिमा अतुलनीय , यश तेरा निर्मल - न्यारा.
तुम्हें शत नमन हमारा - तुम्हें शत नमन हमारा.
फली - फुली सभ्यता - मानवता , तेरी ही गोदी में.
बिखरी है चहुँओर सम्पदा , इस पावन माटी में.
जली यहीं से ज्योति ज्ञान की, चमका विश्व ये सारा.
तुम्हें शत नमन हमारा - तुम्हें शत नमन हमारा.
राजनीति या धर्मनीति हो, शास्त्रनीति या शस्त्रनीति हो.
उद्गम - स्थल यहीं है सबका, रीति - रिवाज़ या संस्कृति हो.
ज्ञान - विज्ञान , साहित्य - कला की, यहीं से फूटी धारा.
तुम्हें शत नमन हमारा - तुम्हें शत नमन हमारा.
महावीर और गुरु गोविन्द की, जन्मभूमि यह धरती.
गौतम - गांधी - बाल्मीकि की, कर्मभूमि यह धरती.
गणतंत्र को सबसे पहले, इस धरती ने उतारा.
तुम्हें शत नमन हमारा - तुम्हें शत नमन हमारा.
------ सतीश मापतपुरी
---- जय बिहार - जय भारत ------
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जीवन और मौसम

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जीवन और मौसम
मन रे ........ काहें को नीर बहाये.
जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये.
शिशिर - बसंत में मस्त पवन बह, अंग -अंग सहलाये.
होली - चईत का धुन हर मन में, मिलन की लगन जगाये.
मौसम की यौवन अनुभूति, नस - नस आग लगाये.
बिरहिन की आँखों - आँखों में, ही रजनी कट जाये.
शीत ऋतु गयी - आई गर्मी, कोमल तन झुलसाये.
जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये.
मन रे ........ काहें को नीर बहाये.
जेठ का तेवर देख के डर से, सब घर में छिप जाये.
दिन - दुपहरिये ही गोरी को, पिय का संग मिल जाये.
गरमी का भी अपना सुख है, सजनी बेन डोलाये.
खेत - बधार से मिल गई छुट्टी , सब मिल मोद मनाये.
पड़त फुहार खिलत मन - बगिया, वर्षा ऋतु जब आये.
जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये.
मन रे ........ काहें को नीर बहाये.
चढ़त अषाढ़ भरे नदी - नाले, खेतों में हरियाली.
सावन में गोरी की हथेली, में मेहंदी की लाली.
आसिन - कार्तिक में खेतों में, झूमे धान की बाली.
अगहन अपने साथ ले आती, घर - घर में खुशहाली.
पौष की धौंस से सहमी गोरी, पिय को सनेस पठाये.
जीवन मौसम की भांति है, रुत आये - रुत जाये.
मन रे ........ काहें को नीर बहाये.
---- सतीश मापतपुरी
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Wednesday 3 April 2013

Career after 12th 10th education program-What to do After 10th class and 12th class board examination

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It is a great dilemma for the students to choose a particular stream for their higher education. Traditionally speaking, it has been considered that there exist only two stream after 12th where you can have a good career i.e. Medical and Engineering. Students opting for Maths, Biology are considered to be brilliant than those opting other streams for eg. Arts, Commerce, Law etc, specifically in India. This is a norm which has been set up by a Indian Society and anyone deviating from this norm would be questioned by everyone " Why didn't you go for IIT ? " , " Why not Medical? Its a great field " , " See how IIT students get good jobs, go for it ". Well these are the questions which block the thinking of a student to think beyond this and start considering these two as the only options which are available to him for higher studies. I have seen many students who are not at all interested in these fields, but even though they prepare for it because society has given its approval only for these two streams. Well, I am able to say all this because I am one of such cases who opted for Maths after 10th without thinking about my interest, as to What am I interested in ? But luckily I decided at the crucial point and left the idea of doing engineering and opted for law and I am not regretting my decision, actually I am very happy with this.

This post is not meant to favour something or against something, but this is reality and we can not ignore it that there is a very limited knowledge which is available to the students of other streams and that is the reason why they get confused while choosing a career in a particular field. "Three Idiots" has represented this matter in a very decent way as to how Farhan's family says on his birth " Mera Beta Farhan Engineer banega ". It was decided since his birth as to what he has to do in future and he did that accordingly but at last found the way to do the thing in which wants to do but after a great struggle. Even he was surrounded by the questions "Abbu nhi manege" . This is in fact has become the reality and case of Farhan can be counted as an exception where his parents were convinced and in most of the cases it is very hard to convince them and at last they choose the filed which is not chosen by them but by their parents, relatives. This is a very great problem which has been rooted in the society which has to removed otherwise there would be many student who could have done a great job in other fileds would land up doing some clerical work because of their disinterest in the field which has been chosen for them by their elders.

This is a very crucial decision in a life of a person, and it should not be imposed on him. His choice should get the utmost importance because it is he who is going to study and anyone should not play with his future arbitrarily. I have seen many people who could have done well in case they had been doing the thing which they were interested in, but has achieved a lot less because of the wrong choice. This happens not only due the pressure which one gets from the family but sometimes a person himself is confused while deciding this crucial matter. Even after taking certain subjects after 10th, he doesn't know why he has chosen that subject and is he studying that subject, just to get a job ? But is it necessary that you would get a high paying job by making a wrong decision by not choosing an area which you are interested in? Trust me you would do much more better in a field you are interested in, than the streams which one chooses just because it is considered good. Because, one can do well anywhere if he has capability of doing such thing. Take for example, you may be interested in Politics but may not be seeing a good future in it, but have you ever thought of at least trying it?Consider Chetan Bhagat, a well known Indian writer, who has completed his graduation from IIT Delhi and post-graduation from IIM, Ahemdabad, left his job and started writing novels only, indeed he once informed in an interaction that he would be working on the movies based on his novels. But have you ever thought what was the use of the IIT degree which he had got? His destiny was not become a Manager or for the matter an Engineer but a writer. Even you might be interested in writing but have you ever thought of doing this.

Even if you are not convinced with the discussion above and you are still confused as to which stream you should join, then you can consult the eligible person who suggest you and can give you a clear idea about the opportunities which one in respective streams because if you don't do this at this moment then you might be regretting your whole life by not making the right choice when you had a chance to do so. Even I had many friends who could have done a lot better in other fields than those which they have chosen but it is very hard to convince someone and tell them that you can have a better career in some other place. This article may convince you or may not be able to convince you but please think about this matter at least once carefully before making any choice because the period which you are going to spend after 12th would be the deciding factor for your whole life and it should be taken arbitrarily. It always better to think before than regretting later on.

Career after 12th 10th education program-What to do After 10th class and 12th class board examination
1. Combined Preliminary & Mains For Posts SSC Level Posts: Staff Selection Commission
2. NDA & Naval Academy Exams For Admissions to the Army, Navy and The Air Force Wings after 10+2
3. Technical Entry Scheme for men after 10+2 (with PCM)
4. Exam for recruitment of Soldier Tradesman (for non matric)
5. Exam for recruitment of Junior Commissioned Officers (Catering) after 10+2 (1 Yr cookery diploma/certificate from recognized craft institute essential)
6. Exams for recruitment of Soldiers:
a. General Duty: 10+2
b. Technical
c. Nursing Assistant: 10+2(with Biology)
d. Clerical: SSC with English, Maths & Science
7. Exam for recruitment as Lady Constable after SSC
8. Exam for recruitment as Sailors in Indian Navy
9. Exam for Cadet Entry scheme after 10+2 in Indian Navy
10. Exam for recruitment to Matric entry for trades in Seamen, Engineering/ Electrical, Medical and Logistics
11. Exam for recruitment as Artificer Apprentice in Indian Navy for Matric
12. IIT-JEE exam for with separate applications to the Directorate General of Shipping for admission to Marine Engineering and Research Institute (Merchant Navy)
13. Exam for recruitment of apprentices (civilian) for after SSC
14. Exam for recruitment of Naviks in the Indian Coast Guard after SSC
15. Exam for recruitment of Airmen Technical & Non-Technical Trades After SSC
16. Exam for recruitment of Driver Mechanical Transport Trade after SSC
17. Exam for recruitment of Sub Inspector (Stenographer) and Asst. Sub Inspector
(Ministerial) in CRPF after 10+2
18. Exam for recruitment of Sub Inspector (Clerk) in CRPF after 10+2
19. Exam for recruitment of Asst. Sub Inspector (Clerk) in BSF after 10+2
20. Exams for recruitment in banks after 10/10+2 & above
21. Special Class Railway Apprentices Examination after 10+2 in Science
22. Exams for recruitment in Railways to the non technical cadre after 10/10+2
23. Exams for teaching jobs in Railways after 10+2 and above (with other essential qualifications)
24. Exams for jobs in Medical cadre jobs in Railways after 10+2 and above (with other essential qualifications)
25. Exams for recruitment in Railways to the technical cadre after 10/10+2 (with ITI/ Diploma in Engineering/ Degree and other essential qualifications)
26. Exams for Personal Assistant Grade in the Intelligence Bureau after 10/10+2 and above (with other essential qualifications)
27. Exams for jobs in Life Insurance Corporation after 10+2 and above (with other essential qualifications)
28. Exams for recruitment Junior Assistants through Staff Selection Commission after 10+2 (Science) and above (with other essential qualifications)
29. Exams for recruitment of Sorter and Group Staff after 10/10+2 and above (with other essential qualifications)
30. Exams for recruitment of lower division clerks at I.C.A.R. after 10+2 and above (with other essential qualifications)
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AIEEE trial online test launched by CBSE for students to practise

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An AIEEE trial online test has been launched by CBSE through which students can test their comfort level in appearing for the actual All India Engineering Entrance Exam (AIEEE) 2012.
CBSE will also entertain the requests for change in the application form for some categories. From 23 December 2011 those students who have opted for an offline exam centre can make a change to the online centre for the AIEEE exam. It should be noted that online centre cannot be changed to offline one.
Details about mode of payment and caste can also be changed if there is a mistake while filling the form.
The trial test has been loaded on the AIEEE server and has the exact format like the actual AIEEE exam. Students can download the test for practice whenever they have free time. Another remarkable feature is that students can change the language mode as many times as they wish during the test.
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FREE JOB -Oriented Training Program

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FREE JOB -Oriented Training Program

FREE JOB -Oriented Training Program 

Bivha Foundation (Also know as Bivha Child Fund) is social initiative program , funded by Bivha International School.
Vision for this program is to end unemployment in rural India & end poverty.
It is 100% free , with 98% placement support training program.

Bivha Foundation provides vocational training programme at Supaul (Bihar). The programme includes training in mobile repairing; shuttering / carpentry, plumbing and a course to run a beauty parlour. Awareness programmes for local self help groups too are organised on a regular basis.

The Foundation’s first steps in its sustainable livelihoods initiative are to strengthen two Rural Self-Employment Training Institutes (RSETIs) in Supaul Bihar, run by Bivha International School. BIS is training centers for rural youth that provide them with the skills and understanding they need to build lucrative and secure futures. BIS also provide residential facilities during training when required.

All these program are generally free of cost , along with free accommodation.
For few program , candidate have to pay 20% of program fees.

  • Back Office
  • Hospitality
  • Electronics
  • Para-Medical
  • Pharmacy
  • Direct Sales
  • House Keeping
  • Tally
  • DTP Operator
  • Insurance
  • Legal Services
  • Mobile Repairing
  • BPO /Call Center
  • Sales
  • Machine Operator like JCB , Truck
  • Bank sales
  • Teacher training
  • Beautician
  • Tailoring
  • Handy craft

UNSKILLED
  • Driver
  • House Made
  • Cook
  • Manpower for Construction

Duration : 45- 90 days
FEE : Free
Accommodation : Yes
Eligibility : Any one
Age - Min 16 -25 year
For self Employment - No upper age limit
Financial assistance/Support
: Yes from BOI , Yes Bank & SBI


For any clarification Please contact :
+91 8986 05 4337or,

visit their website - http://bivha.in
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राशिफल - मेष - वार्षिक

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मेष
जनवरी
इस महीने में आप वास्तव में थोड़े महत्वाकांक्षी हो जाएंगे। यदि नौकरी-धंधे में परिवर्तन का विचार है तो उसे साकार करने का सही समय शुरु हो गया है। आपके भाग्य भाव का बुध आपको मदद करेगा। आप जितना कम जोश दिखाएंगे उतने सफल रहेंगे। आप दूसरों के साथ सहयोग और समझौते करने के लिए हर पल तैयार रहेंगे। आपकी मानसिक ऊर्जा चरम पर होगी और आप हर बात और हर स्थिति को तुरंत समझ जाएंगे। इतना ही नहीं आप दूसरों के विचारों का भी सम्मान करेंगे उनकी सराहना करेंगे। महीने के आखिरी दिनों में किसी से काफी महत्वपूर्ण बातचीत होगी। जल्दी उग्र न हों।

लव- आपके और पार्टनर के बीच दूरी बढ़ रही है। संवेदनाओं को समझें और बहस में पड़े बिना अगर इसका समाधान निकाल सकें तो ठीक है वरना थोड़ा इंतजार करें।
प्रोफेशन- कार्य की अधिकता रहेगी। बिजनेस वालों का रूका हुआ पैसा मिल जाएगा।
हेल्थ- इस राशि के लोग इस महीने मसालेदार खाना कम खाएं तो स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
करिअर- पढ़ाई में मन लगेगा। मेडिकल विद्यार्थी बहुत चिंतित रहेंगे। टेक्निकल विद्यार्थियों के लिए समय अच्छा है।
फरवरी

इस महीने में आपको किस्मत का साथ मिलेगा। सारी चीजें खुद-ब-खुद आपके पक्ष में होती चली जाएंगी। जो करना चाहते हैं उसकी पूर्ति के लिए कई अवसर मिलेंगे और लेन-देन में फायदा होगा। आप समस्याओं को सुलझा भले ही न सकें उन्हें इस तरह मोड़ जरूर लेंगे कि काम चलने लगे। कामकाज में आ रही जिन अड़चनों के लिए काफी ज्यादा मेहनत और बहुत ज्यादा संयम चाहिए उन्हें सस्ते में सुलझा लेने का असली मौका आपको इस महीने में ही मिलेगा। नौकरी के लिए कोशिश करने, दफ्तर में अपनी पोजीशन बेहतर बनाने के लिए बहुत अच्छा समय आपको मिलेगा। प्रमोशन के या उसके लिए जरूरी बातों की जानकारी मिलने के पूरे चांस हैं।

लव - पत्नी से विवाद हो सकता है, वाणी पर काबू रखें।
प्रोफेशन- खर्च ज्यादा होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। नौकरी के लिए कोशिश करने के लिए बहुत अच्छा दिन है। प्रमोशन के चांस हैं।
करिअर- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए समय ठीक है।
स्वास्थ्य- आपका व परिवार का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
मार्च

इस महीने आप हर समस्या की जड़ में जाएंगे और हर सूचना की गहरी तहकीकात करेंगे। इस महीने में आपके सोचे हुए काम पूरे हो जाएंगे। आपकी भावनाएं आपको उस दिशा में धकेल देंगी, जिस दिशा में आप जाना चाहते हैं। बातचीत संभल कर करें,  इस महीने में जितने इंटरव्यू या मीटिंग है उनके लिए तैयार होकर पेश हों। महीने के आखिरी दिनों में आपको फायदा मिल जाएगा। बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा। आपके विरोधी आपको परेशान करेंगे लेकिन आप धैर्य बनाए रखें। नौकरी में बदलाव होगा। यात्रा में सावधान रहें।

लव- गिले-शिकवे दूर होंगे। पुरानी बातें भूल कर जिंदगी की नई शुरुआत करें।
प्रोफेशन- नौकरी मिलेगी या बदलेगी। निवेश के लिए ये महीना अच्छा है। पुराना निवेश भी मुनाफा दिलाएगा।
करिअर- सीए और कम्प्यूटर साइंस स्टूडेंट्स के लिए समय अच्छा है।
स्वास्थ्य- ह्दय रोगी विशेष ध्यान रखें।
अप्रैल
आपकी चिंता और दुविधा समझी जा सकती है। दुविधा यह है कि एक तरफ आप पर करिअर का दबाव है या ज्यादा सही तौर पर आपका करिअर दबाव में हैं वहीं दूसरी तरफ  घरेलू स्थितियां और पैसों की स्थितियां भी कम दबाव नहीं डाल रही हैं। आपको थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। महीने के बीच में आपकी राशि का स्वामी आपकी ही राशि में आ जाएगा जो आपके लिए बहुत ही शुभ फल देने वाला समय रहेगा। आप समझ नहीं पाएंगे कि ऐसे में क्या किया जाना चाहिए। शुभचिंतकों से परामर्श करें। घर में सारे लोग एक साथ बैठ कर विचार करें और उचित यही रहेगा कि आप घर-परिवार की चिंता फिलहाल छोड़ कर नौकरी धंधे के काम निपटाना शुरु कर दें।

लव- अविवाहित प्रेमियों के लिए महीने के आखिरी दिन शुभ फल देने वाले रहेंगे।
प्रोफेशनल- व्यापार में मित्रों से सहयोग मिलेगा। धंधा बढिय़ा चलेगा।
हेल्थ- गैस और एसिडिटी हो सकती है, भोजन पर ध्यान दें।
करिअर- सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स और मेडिकल विद्यार्थियों के लिए मेहनत करने का समय है।

मई
किसी काम में पूरे मन से जुटने के पहले आपको अपने मन को अपनी भावनाओं को काफी खंगालना पड़ सकता है। या तो काम काज की स्थिति आपको भावनात्मक तौर पर चुभ गई है या किसी और कारण से आप बहुत भावुक हो जाएंगे। हो सकता है आपके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच जाए। आत्मचिंतन और प्रेम की एक बूंद आपका सारा कलुष धो देगी और इस महीने में आप पूरे जोश से जीवन का आनंद लेंगे। नए उत्साह का संचार होगा। आप जितना सोचेंगे, जितनी मेहनत करेंगे, आपके उतने काम बनेंगे। सोचे हुए काम पूरे होंगे। काम तो अधिक है लेकिन कड़ी मेहनत से निपट जाएगा। मंगल के प्रभाव से आपकी राशि के लिए प्रोफेशनल लाइफ  के लिए ठीक समय अभी आया है।

लव - दाम्पत्य सुख अच्छा रहेगा। प्रेमियों के लिए भी समय बढिय़ा है। इस महीने में आपके लिए पार्टनर का स्वभाव बहुत अच्छा रहेगा।
प्रोफेशनल- बिजनेस के लिए समय अच्छा नहीं है, निवेश सोच-समझकर करें।
करिअर- प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है।
हेल्थ- इस महीने में आपकी सेहत ठीक रहेगी।

जून
इस महीने में आपको अपने भावनात्मक उद्वेगों पर नियंत्रण के लिए प्रयास करना होगा। कुछ दिनों से चली आ रही आपकी हल्की चिढ़चिढ़ाहट अपने स्थान पर है और आपका ज्यादा भावुक होना आपको और परेशान कर सकता है। कोई भी तर्क-वितर्क विवादों को जन्म दे सकता है। इस तरह दिन बिताने के लिए सबसे अच्छा यह रहेगा कि आप सहयोग और समझौता करने का पक्का इरादा करके ही घर से निकलें। दफ्तर में आपकी असंतुष्टि संभवत: सीधे अपने बॉस से ही चल रही है। अगर आपके दफ्तर में कोई विवाद चल रहा है तो महीने के शुरुआती दिनों में किसी वरिष्ठ और समझदारी व्यक्ति के हस्तक्षेप से वह सुलझ जाएगा।

लव- आपकी जीवनसाथी के साथ लंबी बात होगी। बातचीत में चुभने वाले विषय न उठाएं। किसी मनोरंजक कार्यक्रम में शामिल हों। दिन बीत जाएगा।
प्रोफेशन-  साझेदारी के बिजनेस वालों को अच्छी सफलता प्राप्त होने के योग हैं। बदलाव के विचारों को काबू में रखें।
हेल्थ- आपका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक रहेगा।
करिअर- बिजनेस के विद्यार्थियों को अच्छी सफलता प्राप्त होने के योग हैं।

जुलाई

आपकी महत्वाकांक्षाएं इस महीने में काफी ज्यादा हैं और वही आपके जीवन और करिअर को उन्नति के रास्ते पर आगे धकेल रही हैं। जल्दबाजी के कारण जो काम बिगड़ा था वो इन दिनों में सुधार सकते हैं। आप बदलाव का पूरी ताकत से विरोध करने के मूड में रहेंगे। इस कारण आलोचना भी होगी। परिवार का कोई मसला सुलझ जाएगा। आपका मन अकेले बैठने का है लेकिन मित्रों के साथ फिजूल की बातों में समय खराब होगा। लेन-देन पहले ही निपटा लें। आपको अपने प्रेम जीवन के बारे में कोई अच्छा समाचार मिलेगा। कोई आपको प्रपोज कर सकता है या शादी का प्रस्ताव मिल सकता है। आप हर काम में थोड़ी हड़बड़ी दिखा रहे होंगे लिहाजा थोड़ा सतर्क होकर चलें।

लव- बिछड़े साथियों को याद करते रहेंगे। समय अपने पार्टनर की भावनाओं को समझने और उसके मन के घाव भरने का है।
प्रोफेशन- कार्यक्षेत्र और बिजनेस में सावधान रहना जरूरी है। अपना व्यवहार लचीला रखें तो अच्छा होगा।
हेल्थ- भोजन में ध्यान रखें और मसालेदार चीजों से बचें।
करिअर- स्टूडेंट्स के लिए दिन अच्छा है। पढ़ाई में मन लगेगा।
अगस्त
आप अपने काम की प्राथमिकता तय नहीं कर पाएंगे। इस महीने में आपकी राशि का स्वामी मंगल तीसरे और चौथे भाव में रहेंगे। इस महीने लिहाजा जो काम सामने आए, उसे निपटाते चले जाएं और दूसरों से मदद बेधड़क मांग लें। बिजनेस या निवेश का कोई प्रस्ताव है तो उस पर बहुत सावधानी से विचार कर लें। अचानक कोई अड़चन या समस्या आ सकती है। आने पर आप अपना आपा न खोएं, धैर्य से निर्णय लें तो सफलता मिलेगी। अगर आपके संबंधों में सबकुछ ठीक-ठाक है तो प्रेम संबंधों की दो दिनों से चली आ रही ताजगी और गर्मजोशी लंबे समय तक बनी रहेगी।

लव- जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। प्रेमी से सरप्राइज मिलेगा।
प्रोफेशन- व्यापार में नए सौदे की प्राप्ति होगी। नौकरी पेशा लोगों के लिए महीने के शुरुआती दिन ठीक रहेंगे।
हेल्थ- पुराने रोगों से परेशान हो सकते हैं। सावधान रहें।
करिअर- व्यवसायी पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को अतिरिक्त मेहनत करना होगी।

सितंबर

ये महीना आपके लिए थोड़ा परेशानियों भरा हो सकता है। कड़ी मेहनत करके और नतीजे दिखाकर आपको अपने काम से खुशी होगी। अचानक घटने वाले घटनाक्रम आपको आश्चर्य में डालेंगे लेकिन आप समझदारी से काम लेते हुए अपना समय खराब नहीं जाने देंगे। कार्यक्षेत्र में जिम्मेदारी भी बढ़ेगी और आपको सफलता भी मिलेगी हालांकि थोड़ी भागदौड़ होगी और बाधाएं आएंगी। जिस काम में हाथ डालने के लिए मन में हिचकिचाहट हो रही हो उसे फिलहाल छोड़ ही दें। कुछ नए अनुभव आपको पूरी तरह बोर होने से बचा लेंगे। जीवन के कुछ क्षेत्रों में बदलाव आना शुरु हो रहा है। जो लोग आपके जीवन में अहम हैं या हो सकते हैं, उनके साथ अपने संबंधों में एक नई शुरुआत की कोशिश करें।
लव-  पार्टनर से अचानक खुशखबरी मिल सकती है। इससे आपका मनोबल भी बढ़ेगा।
प्रोफेशनल- कार्यक्षेत्र में अधिकारियों का सहयोग मिलेगा।
हेल्थ- आलस्य और थकान से परेशान हो सकते हैं।
करिअर- कॉमर्स विषय से जुड़े विद्यार्थियों को तनाव हो सकता है।

अक्टूबर
निवेश से आपको लाभ होगा। आप कहीं से वह पैसा निकाल सकते हैं जो काफी समय से जमा है। रोजमर्रा के काम में मन नहीं लगेगा, कुछ नया प्रयोग करने की इच्छा होगी। कॉन्फिडेंस बढ़ेगा, उम्मीद, हौंसला सब बढ़ेगा। हिम्मत और जोश से ही काम न लें, दिमाग से भी काम लें। आपके काम बिगड़ सकते हैं। आपके दुश्मन आप पर हावी हो सकते हैं आपके सोचे हुए काम बिगड़ सकते हैं। किसी ऐसे काम में हाथ डालने से बचें जो किस्मत के बूते हो।  भागीदारी में आपके निर्णय लाभदायी होंगे। लव लाइफ  में कुछ परिवर्तन आने के योग बन रहे हैं। सेहत का ध्यान रखें। विद्यार्थियों के लिए दिन अच्छे रहेंगे।

लव-  लव लाइफ  में कुछ परिवर्तन आऐंगे। महसूस होने वाली थकावट पारिवारिक उत्साह पर असर डालेगी। अविवाहितों के लिए समय अच्छा है।
प्रोफेशन- कार्यक्षेत्र में पैसों से संबंधित परेशानियां खत्म होने के दिन है। मेहनत से पद और सम्मान प्राप्त करेंगे।
हेल्थ- सेहत का ध्यान रखें। वाहन सावधानीपूर्वक चलाएं।
करिअर- विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलेगी।

नवंबर

जो कुछ जरूरी काम है, जल्दी ही निपटा लें। सगे-संबंधियों से ही आपको धोखा हो सकता है। निर्माण कार्य में व्यय होने की संभावना है। विवादों से और जरूरत से ज्यादा पैसे खर्च करने से दूर रहने का प्रयास करें। नया काम शुरुआती दिनों में न करें। कहीं पैसा भी न फंसाएं। महिलाओं को सिर दर्द, माइग्रेन होने की संभावना है। पैसों से जुड़े खास निर्णय महीने के शुरुआती दिनों में न लें तो ही अच्छा है। अगर आप स्टूडेंट हैं, तो आपके मन में अपनी शिक्षा की भावी योजना बदलने का विचार आएगा। लेकिन आपके इस विचार पर जल्दबाजी न करें। कुछ समय बाद आपको कोई नई बात पता चलेगी और फिर आपको अपना इरादा बदलना पड़ेगा।

लव- आपका पार्टनर अति संवेदनशील रहेगा। सोच समझकर बोलें। आपके इरादे और सोच-विचार पार्टनर को रास नहीं आएंगे। ऐसी हालत में पार्टनर के सामने कोई फरमाइश न रखें तो ही बेहतर है।
प्रोफेशन- कार्य की अधिकता आपको परेशान कर सकती है। दफ्तर में माहौल हल्का-फुल्का बना रहे, इसी में आपका हित है। जायदाद संबंधी समस्या का समाधान होगा।
हेल्थ- महिलाओं को सिरदर्द और छोटे-छोटे रोग परेशान कर सकते हैं।।
करिअर- मेडिकल और एमबीए के विद्यार्थियों के लिए समय सामान्य रहेगा।

दिसंबर
इस महीने में आपको ऐसी जानकारी मिलेगी, जिससे आप अपने जीवनसाथी के साथ संबंधों में आ रही अड़चनों से पार पा सकें। हर हालत में आपके और आपके पार्टनर के बीच काफी बातचीत होगी। परिवार के साथ संबंधों में और अपने स्वास्थ्य में सुधार होगा। जिन लोगों के साथ आपकी बातचीत लगभग ठप्प पड़ी थी, उनसे फिर संवाद होगा। नौकरी-धंधे के क्षेत्र में आप ज्यादा संतुष्टि की तलाश में डटे रहेंगे। जो कामकाज में ज्यादा सुरक्षा के मुद्दों तक जाएगी। कार्यक्षेत्र में आप किसी नई तकनीक का प्रयोग करेंगे। आपको कोई किताब या कोई और पठन सामग्री मिलेगी जो आपके बहुत काम की साबित होगी।

लव- अविवाहितों के लिए समय शुभ रहेगा। प्रेम प्रस्ताव मिलेंगे।
प्रोफेशन- विवाद का शिकार हो सकते हैं। वाणी पर संयम रखें।
हेल्थ-  स्वास्थ्य में कुछ खास परिवर्तन नहीं होगा। सबकुछ सामान्य रहेगा।
करिअर-  मेडिकल और एमबीए के विद्यार्थियों के लिए समय सामान्य रहेगा।

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राशिफल -

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भगवान हाथों लकीरें देता है लेकिन उस से किस्मत हमें ही लिखनी होती है। हमारे कर्म ही भाग्य की दिशा तय करते हैं।
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एक्जाम में सबसे अच्छे रिजल्ट्स चाहिए तो ये नुस्खा जरूर अपनाएं

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एक्जाम के समय विद्यार्थियों में तनाव स्वाभाविक होता है। इस तनाव के कारण उन्हें मानसिक रूप से बोझिल होना पड़ता है, कई बार तो याद हुई बातें भी समय पर रिकाल नहीं होती। ऐसे बच्चों के लिए ट्रांसडरमल मेडिटेशन मानसिक तनाव को कम करने का एक बेहतर विकल्प हो सकता है। सेकेंडरी स्कूल के बच्चों में कराए गए एक अध्ययन से यह परिणाम सामने आये हैं, इस अध्ययन से यह बात साबित हुई है कि़ मेडिटेशन, बच्चों में उत्पन्न हो रहे मानसिक तनाव को 36 प्रतिशत तक कम कर देता है।

इस अध्ययन में 106 सेकेंडरी स्कूल के बच्चों को लिया गया तथा उन्हें लगातार चार महीने तक ट्रांसडरमल मेडिटेशन का अभ्यास कराया गया,  इसके परिणामों की एक कंट्रोल समूह से तुलना की गयी ,कैंसर परमानेंट सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च के शोधकर्ता डॉ.चाल्र्स एल्डर एम.डी. का कहना है, कि बच्चों में ट्रांसडरमल मेडिटेशन का अभ्यास मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने में मददगार होता है। आयुर्वेद में भी मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने का निर्देश आचार्य सुश्रुत ने हजारों वर्ष पूर्व ही स्वस्थ व्यक्ति की  परिभाषा में दे दिया था।

पढ़ाई का तनाव बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर उलटा प्रभाव डालता है, ऐसे  बच्चे अच्छा परफार्म नहीं कर पाते हैं। महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ  मेनेजमेंट के प्रोफेसर ऑफ  एजुकेशन सेनफोर्ड निडिक का कहना है, कि ट्रांसडरमल मेडिटेशन का अभ्यास बच्चों में एकेडेमिक परफार्मेंस को बेहतर करने में मददगार है। इस अध्ययन के परिणाम जर्नल ऑफ  इन्सट्रकशनल साइकोलोजी में प्रकाशित हुए हैं। तो हो जाएं तैयार ,आज से ही अपने बच्चों को करायें ध्यान का अभ्यास और देखें उनके परीक्षा परिणाम।
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आटे का ये 1 चमत्कारी उपाय करेंगे तो आप भी हो जाएंगे मालामाल

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यदि आप धन संबंधी या घर-परिवार से संबंधित किसी परेशानी का सामना कर रहे हैं तो इस शिवरात्रि पर शास्त्रों के अनुसार बताया गया यह चमत्कारी उपाय अवश्य करें। इस उपाय के प्रभाव से आपकी सभी समस्याएं नष्ट हो जाएंगी। आगे दिए गए फोटो पर क्लिक करें और जानिए गेंहू के आटे का खास उपाय...
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स्त्री हो या पुरुष को पलंग के नीचे रखना चाहिए ये चीजें

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आज अधिकांश लोगों को ठीक से नींद न आने की शिकायत रहती है। ऐसे में वे कई प्रकार की चिकित्सकीय उपचार अवश्य करवाते हैं, लेकिन यदि नींद की यह समस्या ठीक नहीं हो रही हो तो यहां दी गई बातों का ध्यान हमेशा रखें।
घरों में पलंग के नीचे कुछ न कुछ सामान अवश्य ही रखा जाता है, यह एक सामान्य सी बात है। पलंग या बेड का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। 24 घंटे में से कम से कम 6-8 घंटे हम सोते हैं।
इस बात से स्पष्ट है कि अच्छी नींद के लिए अच्छा बेड होना बहुत जरूरी है। यहां दिए गए फोटो पर क्लिक करें और जानिए पलंग से जुड़ी खास बातें...
 बता रहे है , बिभा कॉलेज के एक्सपर्ट :
वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि बेड भी अच्छा हो लेकिन फिर भी उस पर सोने वाले लड़के या लड़की की शादी नहीं हो रही है या अन्य कोई परेशानियां चल रही है तो संभवत: उनके पलंग के नीचे वास्तुदोष उत्पन्न करने वाली वस्तुएं रखी हुई हो सकती हैं। यदि पलंग के नीचे वास्तुदोष होगा तो कई प्रकार के मानसिक तनाव पैदा हो सकते हैं। मन व्यर्थ की बातों में भटक सकता है।
 
विवाह योग्य लड़के और लड़कियां जिस पलंग पर सोते हों उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या व्यर्थ का सामान नहीं रखना चाहिए। इनसे वास्तुदोष उत्पन्न होता है। ऐसी चीजों के कारण अविवाहित लोगों का मन गलत दिशा में भटकता है। इस वजह से उन्हें विवाह के बाद कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
 
वास्तु शास्त्र सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांत पर कार्य करता है। अत: ऐसी वस्तुओं से नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है जिससे युवाओं के विचारों में भी नकारात्मकता पैदा होती है। उनका मन व्यर्थ की बातों में भटकने लगता है और उन्हें मानसिक शांति नहीं मिल पाती।
 
कभी-कभी कोई लड़का या लड़की पूर्णतया योग्य है और उसका परिवार भी सभ्य तथा समाज में सम्मान पाने वाला है फिर भी उनकी शादी नहीं हो रही हो तो यह चिंताजनक विषय है। ऐसी परिस्थिति में विवाह योग स्त्री-पुरुष के पलंग के नीचे ध्यान देना चाहिए। यदि पलंग के नीचे गलत वस्तुएं रखी हैं तो उन्हें तुरंत हटा देना चाहिए। ऐसा करने पर विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
 
पलंग के नीचे वास्तुदोष होने से बुरे सपने आते हैं, विचार अशुद्ध होते हैं, अधार्मिक कृत्य करने का मन बन सकता है। इनसे बचने के लिए पलंग के नीचे की व्यवस्था का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
 
वास्तुदोष बढ़ाने वाली चीजें जैसे लौहे की बेकार चीजें, अधिक वजन वाला कोई सामान, अनुपयोगी वस्तुएं, पलंग के नीचे ठीक से साफ-सफाई न होना, दवाइयां आदि होना, अधार्मिक वस्तुएं पलंग के नीचे होना, इन बातों से कई प्रकार के दोषों को उत्पन्न होते हैं। अत: पलंग के नीचे साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए।
 
**ये सभी उपाय अपनी विश्वास पर निर्भर करती है. 
 
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मोटापा कम करने के कुछ बेहद खास प्राचीन आदिवासियों के नुस्खे

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प्रकृति के करीब रहकर इंसान किस कदर अपना स्वास्थ्य बेहतर रख सकता है, इसका सटीक उदाहरण ग्रामीण और आदिवासी अंचलों में देखा जा सकता है। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की पातालकोट घाटी के गोंड और भारिया आदिवासियों की बात की जाए या बैतूल जिले के कोरकू जनजाति के लोग, भले ही ये आदिवासी समाज की मुख्यधारा और तथाकथित विकसित होने की दौड़ में ज्यादा पीछे रह गए हों, लेकिन इनके स्वास्थ्य और आयुष की तुलना हम विकसित समाज और शहरों में रहने वाले लोगों से करें तो हमें समझ आ जाएगा कि आखिर विकसित और ज्यादा स्वस्थ कौन है? पिज्जा कल्चर, जंक फूड और अनियमित जीवन शैली ने मोटापा जैसे रोग लाकर हमारे जीवन को भयावह कर दिया है।

मोटापा ना सिर्फ मधुमेह जैसे रोगों को आमंत्रित करता है अपितु समानांतर रोगों का जन्म कारक भी है। क्या वजह है, जो आदिवासियों में मोटापा, मधुमेह, उच्च या निम्न रक्तचाप जैसी समस्याएं देखने नहीं मिलती? अपने अनुभवों के आधार पर मैने पाया है कि आदिवासियों का खान-पान, जीवनशैली और वनौषधियां इन सब रोगों को उनके आस-पास तक भटकने नहीं देती। जानने की कोशिश करते हैं आदिवासियों के कुछ चुनिंदा हर्बल नुस्खों को जिन्हें अपनाकर आप भी अपने शरीर की चर्बी को कम कर सकते है, लेकिन इन नुस्खों को अपनाने के साथ-साथ ये भी जानना जरूरी है कि अपनी जीवनशैली को नियंत्रित करना आपके अपने हाथ में है।मेडिकल

मोटापे की समस्या से निजात पाने के कुछ प्राकृतिक नुस्खे बता रहे हैं डॉ पमल   (डायरेक्टर-बिभा मेडिकल कॉलेज  )। डॉ. पमल  पिछले 5 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को इकट्ठा करने का काम कर रहे हैं। वे वर्तमान में १० से भी जय्दा पत्र -पत्रिका में नियमित रूप से लिखते हैं 
 
  •  आधा चम्मच सौंफ लेकर एक कप खौलते पानी में डाल दी जाए और 10 मिनिट तक इसे ढांककर रखा जाए और बाद में ठंडा होने पर पी लिया जाए। ऐसा तीन माह तक लगातार किया जाना चाहिए, वजन कम होने लगता है।
  • ताजी पत्ता गोभी का रस भी वजन कम करने में काफी मदद करता है। आदिवासियों के अनुसार प्रतिदिन रोज सुबह ताजी हरी पत्ता गोभी को पीसकर रस तैयार किया जाए और पिया जाए तो यह शरीर की चर्बी को गलाने में मदद करता है। रोचक बात यह भी है कि आधुनिक विज्ञान भी इस बात की पैरवी करता है कि कच्ची पत्ता गोभी शर्करा और अन्य कार्बोहाइड्रेट को वसा में बदलने से रोकती है और यह वजन कम करने में सहायक है।
  • लटजीरा या चिरचिटा के बीजों को एकत्र करके, किसी मिट्टी के बर्तन में हल्की आंच पर भून लिया जाए और एक-एक चम्मच दिन में दो बार फांकी मार ली जाए, बस देखिए कितनी तेजी से फायदा होता है।
    • करेले की अध कच्ची सब्जी भी वजन कम करने में काफी मदद करती है, उत्तर मध्यप्रदेश के आदिवासी सहजन या मुनगा की फलियों की सब्जी को मोटापा कम करने में असरकारक मानते हैं।

     
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अपने लिए जिए तो क्या जिए..

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आप अपनी जिंदगी किस तरह जीना चाहते हैं? हो सकता है, ये सवाल आपको अटपटा लगे, लेकिन है जरूरी, आखिरकार जिंदगी है आपकी! यकीनन, आप जवाब देंगे — जिंदगी तो अच्छी तरह जीने का ही मन है। यह भाव, ऐसी इच्छा, इस तरह का जवाब बताता है कि आपके मन में सकारात्मकता लबालब है, लेकिन यहीं एक अहम प्रश्न उठता है — जिंदगी क्या है, इसके मायने क्या हैं? इस बारे में ‘जीवन का अर्थ’ स्तंभ में हम अनगिन बार चर्चा कर चुके हैं और हर बार यही निष्कर्ष सामने आया है कि दूसरों के भले के लिए जो सांसें हमने जी हैं, वही जिंदगी है पर कोई जीवन अर्थवान कब और कैसे हो पाता है, यह जानना बेहद आवश्यक है।

दरअसल, जीवन एक व्यवस्था है। ऐसी व्यवस्था, जो जड़ नहीं, चेतन है। स्थिर नहीं, गतिमान है। इसमें लगातार बदलाव भी होने हैं। जिंदगी की अपनी एक फिलासफी है, यानी जीवन-दर्शन। सनातन सत्य के कुछ सूत्र, जो बताते हैं कि जीवन की अर्थ किन बातों में है। ये सूत्र हमारी जड़ों में हैं — पुरातन ग्रंथों में, हमारी संस्कृति में, दादा-दादी के किस्सों में, लोकगीतों में। जीवन के मंत्र ऋचाओं से लेकर संगीत के नाद तक समाहित हैं। हम इन्हें कई बार समझ लेते हैं, ग्रहण कर पाते हैं तो कहीं-कहीं भटक जाते हैं और जब-जब ऐसा होता है, जिंदगी की खूबसूरती गुमशुदा हो जाती है।

जीवन की गाड़ी सांसों की पटरी पर सरपट दौड़ती रहे, इसकी सीख भारतीय मनीषा में अच्छी तरह से दी गई है। विशिष्टाद्वैत दर्शन में समझाया गया है कि चित् यानी आत्म और अचित् यानी प्रकृति तव ईश्वर से अलग नहीं है, बल्कि उसका ही विशिष्ट रूप है। आस्थावान लोग इस दार्शनिक बिंदु से अपनी उपस्थिति और महत्व निर्धारित करेंगे, जबकि शैव दर्शन में शिव को पति मानते हुए जीवन को पशु अवस्था में माना गया और पाश यानी बंधन की स्थिति समझाई गई है। यहां शिव की कृपा से बंधन की समाप्ति और ‘शिवत्व’ की प्राप्ति ही मुक्तिदायी बताई गई है। यह दो उदाहरण भर हैं। दर्शन की इन धाराओं में प्रभु और प्रकृति और बंधन व मुक्ति के संदर्भ समझे जा सकते हैं। हालांकि जिंदगी जीने के नुस्खे तरह-तरह के हैं और दर्शन, यानी सत्य के रूप भी बहुरंगी हैं। चार्वाक का दर्शन ही देखिए। वे इसी जगत और जीवन को सबसे अहम बताते हैं। चार्वाक स्वर्ग और नर्क को खारिज करते हुए, वेदों की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठाते हैं और मानते हैं कि कोई अमर आत्मा नहीं होती। आस्थावान लोगों के लिए चार्वाक का दर्शन थोड़ा विचलित करने वाला हो सकता है। वे पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि जैसे चार महाभूतों से हमारी देह बनने के उदाहरण देते हैं और बताते हैं कि शरीर यहीं नष्ट भी हो जाता है।

इन तर्को के साथ चार्वाक की यह बात थोड़ी दिलचस्प भी है — ‘यावज्जीवेत् सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्’, यानी जब तक जियो, सुख से जियो, कर्ज लेकर घी पियो..।

तो देखा आपने। जीवन जीने के विविध तरीके, बहुतेरे सत्य और कई रास्ते हमारे सामने हैं। ठीक ऐसे ही, जैसे जिंदगी एक तार पर नहीं चलती। समरेखा पर उम्र नहीं गुजारी जा सकती। हाथ की सब अंगुलियां एक बराबर नहीं होतीं, ऐसे ही जीवन का सत्य भी एक सा नहीं होता। अब प्रश्न वही फिर से उठता है, फिर जीवन के लिए आदर्श क्या है। कौन-सा सत्य? कौन-सा दर्शन? इसका जवाब एक ही है — जिंदगी का वह रास्ता, जो आपके मन, तन को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखे। और यही नहीं, अपने लिए तो कोई पशु भी जी लेता है, जीवन का ऐसा ही पथ श्रेयष्कर है, जो विराट मानव समाज के लिए सुखद और मंगलकारी हो। दर्शन और जीवन की अर्थ तभी है, जब हम इसमें उलझें नहीं, हमारी जिंदगी की गुत्थियां सुलझाते हुए दिव्य मानव बनने की ओर चल पाएं। आप ऐसा करेंगे, यही उम्मीद!
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पोषण (Nutrition)

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पोषण (Nutrition)
पादप अपने कार्बनिक खाद्यों के लिए (कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन और विटामिन) केवल वायुमंडल पर ही निर्भर नहीं रहते हैं, इसलिए इन्हें स्वपोषी (Autotrophs) कहते हैं। कुछ जीवाणु भी सौर ऊर्जा या रासायनिक ऊर्जा का इस्तेमाल कर अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। उन्हें क्रमश: फोटोऑटोट्रॉफ या कीमोऑटोट्रॉफ कहते हैं। दूसरी तरफ जीव, कवक और अधिकांश जीवाणु, अपना भोजन  निर्माण करने में सक्षम नहीं हैं और वे इसे वायुमंडल से प्राप्त करते हैं। ऐसे सभी जीवों को परपोषी (heterotroph) कहते हैं।

भोजन (Food)
जीवधारी मुख्यत: ऊर्जा प्राप्त करने के लिए खाते हैं। भोजन के निम्नलिखित अवयव होते हैं-
  • कार्बोहाइड्रेट- इसका फार्मूला CN(H2O)N  है। इसके स्रोत आलू, चावल, गेहूँ, मक्का, केला, चीनी इत्यादि हैं। इसको तीन भागों में बांटा गया है-
    • मोनोसैकेराइड - ये सबसे सरल शर्करा होती हं। उदाहरण- राइबोज़, पेन्टोजेज, ग्लूकोज, फ्रक्टोज आदि।

    • डाइसैकेराइड- ये दो मोनोसैकेराइड इकाइयों के जोड़ से बनते हैं। उदाहरण- लेक्टोज, सुक्रोज आदि।

    • पॉलीसैकेराइड- ये बहुत सारी मोनोसैकेराइड इकाइयों के जोड़ से बनते हैं। उदाहरण- स्टार्च, ग्लाइकोजेन, सैल्युलोज।
  • वसा (Fat) - इन पदार्थों में C, H व O होते हैं, लेकिन रासायनिक तौर पर ये कार्बोहाइड्रेट से बिल्कुल अलग हैं। वसा ग्लिसरॉल और वसीय अम्लों के ईस्टर हैं।

  • प्रोटीन (Protein)- ये सामान्यतया C, H, o, N और  S से बनते हैं। ये खाद्य जटिल रासायनिक यौगिक होते हैं और छोटी आंत द्वारा नहीं तोड़े जा सकते हैं। ये एंजाइम द्वारा तोड़े जाते हैं। इनके मुख्य स्रोत दूध, अण्डे, मछली, माँस, दालें आदि हैं।


पाचन (digestion)
पाचन की प्रक्रिया में खाने के कण टूटकर अणु बनाते हैं जो इतने छोटे होते हैं कि रक्त प्रवाह में मिल कर जहाँ उनकी आवश्यकता होती हैं वहीं शरीर में वितरित हो जाते हैं।
लगभग 90 प्रतिशत पचा हुआ भोजन और 10 प्रतिशत जल व खनिज छोटी आंत द्वारा अवशोषित किए जाते हैं। 3-6 घंटे के दौरान जब भोजन छोटी आंत में रहता है तब सक्रिय परिवहन और विसरण दोनों ही सरलीकृत पोषकों के अवशोषण के लिए आवश्यक हैं। अमीनो अम्ल, शर्करा, कुछ विटामिन, खनिज और जल अंकुरों की कोशिकाओं में प्रवेश कर जाती हैं। लेकिन वसीय अम्ल और ग्लीसरॉल सूक्ष्म बिंदुकों के रुप लैक्टील में प्रवेश करते हैं।
विटामिन आवश्यकता
विटामिन A ५००० IU*
विटामिन - B कॉम्पलेक्स थायोमीन 1.5 मिग्रा.
राइबोफ्लेविन 1.8 मिग्रा
नियासिन 18 मिग्रा.
विटामिन B6 2 मिग्रा
पेन्टोथेनिक एसिड 10 मिग्रा
विटामिन C या एस्कॉर्बिक एसिड 75 मिग्रा.
विटामिन D ४०० IU*
विटामिन K **

 *     अंतर्राष्ट्रीय यूनिट
  **     शरीर की आंत के जीवाणुओं द्वारा संश्लेषित
पोषणिक आवश्यकताएँ
एक संतुलित आहार में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, जल और खनिज पदार्थ उचित अनुपात में और विटामिन प्रचुर मात्रा में होने चाहिए। इन सभी पदार्थों की पोषक विशेषताएँ निम्न हैं-
  • प्रोटीन- इन्हें जीवन की सामग्री कहते हैं। एक ग्राम प्रोटीन के पूर्ण दहन पर 5-6 kcal मिलती है। इसलिए प्रोटीन की दैनिक औसत जरूरत 55 से 70 ग्राम होती है।

  • कार्बोहाइड्रेट- कार्बोहाइड्रेट पाचन में मुख्य अंतिम उत्पाद ग्लूकोज होता है। इसका ऊर्जा उत्पादन में सक्रियता से उपयोग होता है। एक ग्राम ग्लूकोज के पूर्ण दहन पर 4.2 Kcal निकलती है। कार्बोहाइड्रेट की दैनिक आवश्यकता 400-500 ग्राम होती है।

  • वसा- वसा ऊर्जा का मुख्य स्रोत है जिसके एक ग्राम के पूर्ण दहन से 9.0 Kcal कैलरी ऊर्जा मिलती है। एक सामान्य आहार  में करीब 75 ग्राम वसा होनी चाहिए। वसा की कमी से कुछ अपूर्णता रोग हो जाते हैं।

  • खनिज- ये कोशिका और ऊतक की भौतिक दशा को कायम रखने में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  कैल्शियम, सोडियम, पौटेशियम, आइरन इत्यादि प्रमुख खनिज हैं।

  • विटामिन - इनकी आवश्यकता अल्प मात्रा में होती है, लेकिन इनकी कमी से अपूर्णता रोग हो जाते हैं। विटामिनों की न्यूनतम आवश्यकता निम्न तालिका में दी गई है-

विशिष्ट कैलोरी आवश्यकताएँ
कैलोरी की मात्राएँ आवश्यकता लिंग, आयु, कार्य की प्रकृति और पर्यावरण पर निर्भर करती है। आहार ग्रहण करने से उपापचय 10 प्रतिशत उद्दीप्त (stimulate) हो जाता है। 8 घंटों के आराम के दौरान, हल्की फुल्की क्रियाओं में, ऊर्जा व्यय ४० Kcal प्रति घण्टा तक बढ़ जाता है।


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भारत के प्रमुख ऐतिहासिक शहर व स्थल

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भारत के प्रमुख ऐतिहासिक शहर व स्थल

अहिछत्र - उ. प्र. के बरेली जिले में स्थिति यह स्थान एक समय पाँचालों की राजधानी थी।

आइहोल- यह स्थान कर्नाटक में स्थित है। इसकी मुख्य विशेषता चालुक्यों द्वारा बनवाए गए पाषाण के मंदिर हैं।

अजंता की गुफाएँ- यह स्थान महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। इसमें 29 बौद्ध गुफाएँ मौजूद हैं। यह गुफाएँ अपनी चित्रकारी के  लिए प्रसिद्ध हैं। इनका काल 2 सदी ई. पू. से 7 शताब्दी ई. तक है।

अमरावती- यह ऐतिहासिक स्थल आधुनिक विजयवाड़ा के निकट स्थित है। सातवाहन वंश के समय में यह स्थान काफी फला-फूला।

अरिकामेडू- चोल काल के दौरान पाँडिचेरी के निकट स्थित समुद्री बंदरगाह।

बादामी या वातापी- कर्नाटक में स्थित यह स्थान चालुक्य मूर्तिकला के  लिए प्रसिद्ध है जो कि गुहा-मंदिरों में पाई जाती है। यह स्थान द्रविड़ वास्तुकला का उत्तम उदाहरण हैै।

चिदाम्बरम- यह स्थान चेन्नई के 150 मील दक्षिण में स्थित है और एक समय यह चोल राज्य की राजधानी थी। यहाँ के मंदिर भारत के प्राचीनतम मंदिरों में से हैं और वे द्रविड़स्थापत्य व वास्तुकला का बखूबी प्रतिनिधित्व करते हैं।

बोध गया- यह स्थान बिहार के  गया जिले में स्थित है। इसी स्थान पर बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति किया था।

एलीफेंटा की गुफा- यह मुंबई से लगभग 6 मील की दूरी पर स्थित है। इसमें 7वीं व 8वीं शताब्दी की पत्थर को काटकर बनाई गई गुफाएँ स्थित हैं।

अयोध्या- यह आधुनिक फैज़ाबाद से कुछ दूरी पर स्थित है। यह कोसल राज्य की राजधानी थी और राम का जन्मस्थान यही है।

एलोरा गुफायें - यह स्थान महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसमें पत्थर को काटकर बनाई गईं 34 गुफाएं स्थित हैं।

फतेहपुर सीकरी- यह स्थान आगरा से 23 मील की दूरी पर स्थित है। इसकी स्थापना 1569 में अकबर ने की थी। यहाँ पर 176 फीट ऊँचा बुलंद दरवाजा मौजूद है।

हड़प्पा- पाकिस्तान के पँजाब प्रांत के माँटगोमेरी जिले में स्थित यह स्थल हड़प्पा संस्कृति काल में एक प्रमुख शहर था।

हम्पी - कर्नाटक में स्थित यह स्थान मध्यकालीन युग में विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी।

आगरा- इस शहर की नींव लोदी वंश के बादशाह सिकंदर लोदी ने 1509 में रक्खी थी। बाद में मुगल सम्राटों ने इसे अपनी राजधानी बनाया। शाहजहाँ ने यहीं अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में ताजमहल का निर्माण कराया था।

अमृतसर- यहीं पर सिक्खों का पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर स्थित है। इसका निर्माण सिक्खों के चौथे गुरू रामदास ने करवाया था।

अवन्ति- पुराणों में अवन्तिका के नाम से प्रसिद्ध भारत का यह प्राचीन शहर 16 महाजनपदों में शामिल था।

इंद्रप्रस्थ- नई दिल्ली के निकट स्थित यह नगर महाभारत काल में कुरू राज्य की राजधानी थी।

उज्जयिनी- छठी सदी ई. पू. में यह शहर उत्तरी अवन्ति की राजधानी था।

कन्नौज- उत्तर प्रदेश में स्थित यह शहर हर्ष की राजधानी थी।

कन्याकुमारी- पद्मपुराण में वर्णित यह शहर भारत के सुदूर दक्षिण में स्थित है।

कपिलवस्तु- नेपाल के तराई में स्थित इसी जगह में महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था
कांचीपुरम- वर्तमान में कांजीवरम के नाम से विख्यात यह प्राचीन नगर सात पवित्र नगरों में से एक है।

कुशीनगर- उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित इसी स्थान पर महात्मा बुद्ध का महापरिनिïर्वाण हुआ था।

खजुराहो- दसवीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य चंदेल शासकों द्वारा निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध खजुराहों मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है।

गया- बिहार में स्थित इस नगर की गणना पवित्र नगरियों में की जाती है। यहीं पर बुद्ध को ज्ञान की प्राप्त हुई थी।

जयपुर- 1721 में कछवाहा शासक सवाई जयसिंह ने इस नगर की स्थापना की थी।

झांसी- उत्तर प्रदेश का यह नगर रानी लक्ष्मी बाई की वजह से प्रसिद्ध है।

दौलताबाद- प्राचीनकाल में देवगिरि के नाम से विख्यात यह नगर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। मुहम्मद बिन तुगलक ने इसे अपनी राजधानी बनाया था।

पाटलिपुत्र- बिहार स्थित पाटलिपुत्र वर्तमान में पटना के नाम से प्रसिद्ध है। यह मौर्र्यों की राजधानी थी।

पूणे- मराठा सरदार शिवाजी तथा उनके पुत्र शम्भाजी की राजधानी पूणे महाराष्ट्र का एक प्रमुख शहर माना जाता है।

पुरूषपुर- प्रथम शताब्दी ई.पू. में कनिष्क द्वारा स्थापित पुरूषपुर पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में स्थित है। इसे वर्तमान में पेशावर के नाम से जाना जाता है।

प्लासी- प्लासी 1757 में ईस्ट इंडिया कंपनी एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है।

प्रयाग- तीर्थराज कहलाने वाला यह नगर गंगा-यमुना के संगम पर बसा है। प्राचीन काल से ही इस स्थली की गणना पवित्र नगरियों में की जाती है। बाद में अकबर ने इसका नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया था।

बीजापुर- युसूफ आदिलशाह द्वारा स्थापित यह नगर कर्नाटक में स्थित है। यहां गोल गुंबज मुहम्मद आदिलशाह का मकबरा है।

भुवनेश्वर- वर्तमान समय में उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर प्राचीन समय में उत्कल की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था। यहाँ के मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

माउंट आबू- दिलवाड़ा के जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध यह स्थान अरावली पर्वत पर स्थित है।

मथुरा- उत्तर प्रदेश में स्थित यह नगरी भगवान श्रीकृष्ण की जन्म स्थली होने की वजह से प्रसिद्ध है।

मामल्लपुरम- पल्लव नरेश नरसिंह वर्मन द्वारा चेन्नई के पास निर्मित यह नगर वर्तमान में महाबलीपुरम के रुप में विख्यात है। यहां के मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।

विजयनगर- इस राज्य की नींव 1336 में तुंगभद्रा नदी के तट पर हरिहर व बुक्का द्वारा रखी गई थी।

श्रवणबेलगोला- कर्नाटक के हसन जिले में स्थित श्रवणबेलगोला जैन धर्म के मुख्य केेंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहां जैन तीर्र्थंकर बाहुबली की विशाल मूर्ति है।

सारनाथ- यह स्थान उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास स्थित है जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।

कोणार्क- यह स्थान सूर्य मंदिर के लिए विख्यात है।

रामेश्वरम- तमिलनाडु में स्थित यह स्थान रामनाथ स्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

मदुरै- पाण्ड्य राजाओं की राजधानी एवं तमिलनाडु में स्थित यह नगर मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

भीतरगांव- उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित यह स्थल गुप्तकालीन ईंटों से बने मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
साभार : बिभा इंटरनेशनल स्कूल , स्कूल ऑफ़ जनरल अफेयर्स 
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भिन्न प्रकार के रोग एवं उनके लक्षण

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 बैक्टीरिया से होने वाले रोग
रोग का नाम रोगाणु का नाम प्रभावित अंग
लक्षण
हैजा बिबियो कोलेरी पाचन तंत्र उल्टी व दस्त, शरीर में ऐंठन एवं डिहाइड्रेशन
टी. बी. माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस फेफड़े खांसी, बुखार, छाती में दर्द, मुँह से रक्त आना
कुकुरखांसी वैसिलम परटूसिस फेफड़ा बार-बार खांसी का आना
न्यूमोनिया डिप्लोकोकस न्यूमोनियाई फेफड़े छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी
ब्रोंकाइटिस जीवाणु श्वसन तंत्र छाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी
प्लूरिसी जीवाणु फेफड़े छाती में दर्द, बुखार, सांस लेने में परेशानी
प्लेग पास्चुरेला पेस्टिस लिम्फ गंथियां शरीर में दर्द एवं तेज बुखार, आँखों का लाल होना तथा गिल्टी का निकलना
डिप्थीरिया कोर्नी वैक्ट्रियम गला गलशोथ, श्वांस लेने में दिक्कत
कोढ़ माइक्रोबैक्टीरियम लेप्र तंत्रिका तंत्र अंगुलियों का कट-कट कर गिरना, शरीर पर दाग
टाइफायड टाइफी सालमोनेल आंत बुखार का तीव्र गति से चढऩा, पेट में दिक्कत और बदहजमी
टिटेनस क्लोस्टेडियम टिटोनाई मेरुरज्जु मांसपेशियों में संकुचन एवं शरीर का बेडौल होना
सुजाक नाइजेरिया गोनोरी प्रजनन अंग जेनिटल ट्रैक्ट में शोथ एवं घाव, मूत्र त्याग में परेशानी
सिफलिस ट्रिपोनेमा पैडेडम प्रजनन अंग जेनिटल ट्रैक्ट में शोथ एवं घाव, मूत्र त्याग में परेशानी
मेनिनजाइटिस ट्रिपोनेमा पैडेडम मस्तिष्क सरदर्द, बुखार, उल्टी एवं बेहोशी
इंफ्लूएंजा फिफर्स वैसिलस श्वसन तंत्र नाक से पानी आना, सिरदर्द, आँखों में दर्द
ट्रैकोमा बैक्टीरिया आँख सरदर्द, आँख दर्द
राइनाटिस एलजेनटस नाक नाक का बंद होना, सरदर्द
स्कारलेट ज्वर बैक्टीरिया श्वसन तंत्र बुखार

वायरस से होने वाले रोग
रोग का नाम प्रभावित अंग लक्षण
गलसुआ पेरोटिड लार ग्रन्थियां लार ग्रन्थियों में सूजन, अग्न्याशय, अण्डाशय और वृषण में सूजन, बुखार, सिरदर्द। इस रोग से बांझपन होने का खतरा रहता है।
फ्लू या एंफ्लूएंजा श्वसन तंत्र बुखार, शरीर में पीड़ा, सिरदर्द, जुकाम, खांसी
रेबीज या हाइड्रोफोबिया तंत्रिका तंत्र बुखार, शरीर में पीड़ा, पानी से भय, मांसपेशियों तथा श्वसन तंत्र में लकवा, बेहोशी, बेचैनी। यह एक घातक रोग है।
खसरा पूरा शरीर बुखार, पीड़ा, पूरे शरीर में खुजली, आँखों में जलन, आँख और नाक से द्रव का बहना
चेचक पूरा शरीर विशेष रूप से चेहरा व हाथ-पैर बुखार, पीड़ा, जलन व बेचैनी, पूरे शरीर में फफोले
पोलियो तंत्रिका तंत्र मांसपेशियों के संकुचन में अवरोध तथा हाथ-पैर में लकवा
हार्पीज त्वचा, श्लष्मकला त्वचा में जलन, बेचैनी, शरीर पर फोड़े
इन्सेफलाइटिस तंत्रिका तंत्र बुखार, बेचैनी, दृष्टि दोष, अनिद्रा, बेहोशी। यह एक घातक रोग है

प्रमुख अंत: स्रावी ग्रंथियां एवं उनके कार्ये
ग्रन्थि का नाम हार्मोन्स का नाम कार्य
पिट्यूटरी ग्लैंड या पियूष ग्रन्थि सोमैटोट्रॉपिक हार्मोन
थाइरोट्रॉपिक हार्मोन
एडिनोकार्टिको ट्रॉपिक हार्मोन
फॉलिकल उत्तेजक हार्मोन
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन
एण्डीड्यूरेटिक हार्मोन
कोशिकाओं की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
थायराइड ग्रन्थि के स्राव का नियंत्रण करता है।
एड्रीनल ग्रन्थि के प्रान्तस्थ भाग के स्राव का नियंत्रण करता है।
नर के वृषण में शुक्राणु जनन एवं मादा के अण्डाशय में फॉलिकल की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
कॉर्पस ल्यूटियम का निर्माण, वृषण से एस्ट्रोजेन एवं अण्डाशय से प्रोस्टेजन के स्राव हेतु अंतराल कोशिकाओं का उद्दीपन
शरीर में जल संतुलन अर्थात वृक्क द्वारा मूत्र की मात्रा का नियंत्रण करता है।
थायराइड ग्रन्थि थाइरॉक्सिन हार्मोन वृद्धि तथा उपापचय की गति को नियंत्रित करता है।
पैराथायरायड ग्रन्थि पैराथायरड हार्मोन
कैल्शिटोनिन हार्मोन
रक्त में कैल्शियम की कमी होने से यह स्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम फास्फोरस की आपूर्ति को नियंत्रित करता है।
रक्त में कैल्शियम अधिक होने से यह मुक्त होता है।
एड्रिनल ग्रन्थि
  • कॉर्टेक्स ग्रन्थि
  • मेडुला ग्रन्थि
ग्लूकोर्टिक्वायड हार्मोन
मिनरलोकोर्टिक्वायड्स हार्मोन
एपीनेफ्रीन हार्मोन
नोरएपीनेफ्रीन हार्मोन
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा उपापचय का नियंत्रण करता है।
वृक्क नलिकाओं द्वारा लवण का पुन: अवशोषण एवं शरीर में जल संतुलन करता है।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
अग्नाशय की लैगरहेंस की इंसुलिन हार्मोन रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।
द्विपिका ग्रन्थि ग्लूकागॉन हार्मोन रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।
अण्डाशय ग्रन्थि एस्ट्रोजेन हार्मोन
प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन
रिलैक्सिन हार्मोन
मादा अंग में परिवद्र्धन को नियंत्रित करता है।
स्तन वृद्धि, गर्भाशय एवं प्रसव में होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
प्रसव के समय होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
वृषण ग्रन्थि टेस्टेरॉन हार्मोन नर अंग में परिवद्र्धन एवं यौन आचरण को नियंत्रित करता है।



विटामिन की कमी से होने वाले रोग
विटामिन
रोग
स्रोत
विटामिन ए रतौंधी, सांस की नली में परत पडऩा मक्खन, घी, अण्डा एवं गाजर
विटामिन बी1 बेरी-बेरी दाल खाद्यान्न, अण्डा व खमीर
विटामिन बी2 डर्मेटाइटिस, आँत का अल्सर,जीभ में छाले पडऩा पत्तीदार सब्जियाँ, माँस, दूध, अण्डा
विटामिन बी3 चर्म रोग व मुँह में छाले पड़ जाना खमीर, अण्डा, मांस, बीजवाली सब्जियाँ, हरी सब्जियाँ आदि
विटामिन बी6 चर्म रेग दूध, अंडे की जर्दी, मटन आदि
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